नजरियाँ
एक सुबह जब मै काफी चिढ़ी हुइ थी। मेरा मन काफी बेचैन था। उस समय हर कोई मुझे अपना दुश्मन नज़र आ रहा था।
गुस्से में मै एक बागियों में चली गई। वहाँ इतनी शांति थी कि सन्नाटा भी सुनाई दे रहा था।...
गुस्से में मै एक बागियों में चली गई। वहाँ इतनी शांति थी कि सन्नाटा भी सुनाई दे रहा था।...