अंधेरी रात घना जंगल
मै और मेरी दोस्त एक शादी से लौट रहे थे उस वक्त रात के दस बज रहे थे घने कोहरे के साथ ठंठी हवाएं मानों एक छड़ को कही रूके तो बस वही जम जाएंगे ऊपर से रात का ये सन्नाटा दिल में इक अलग ही डर बिठा रहा था बड़े बुजुर्गो की सारी कहानियां याद आ रही थी उनकी कही हर बात याद आ रही थी वो अक्सर कहते थे रात के अंधेरे में कभी बालों को खुला मत छोड़ना उनकी वो बात याद आते ही झट पट अपने बालों का जूड़ा बना लिया तो साथ चल रही मेरी दोस्त मुझ पर हंस पड़ी क्यूंकि उसे मेरे ऐसा करने की वजह पता थी वो मुझे चिढ़ाते...