मैं मौन हूॅं
© Nand Gopal Agnihotri
#ता २३/१/२०२५
#लघुकथा - "मैं मौन हूॅं "
#स्वरचित -नन्द गोपाल अग्निहोत्री
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दो मित्र नटवरलाल और बनवारीलाल बड़े ही घनिष्ठ मित्र थे, लेकिन सैद्धांतिक बातों में हमेशा विरोधाभास रहा। बनवारीलाल को जहां अपने विवेक पर पूरा भरोसा था,
वह हमेशा नटवरलाल से कहता देखो मैं समय की नजाकत को समझता हूं और समयानुसार व्यवहार करता हूं इसलिए मुझे विश्वास है कि मैं कभी धोखा नहीं खा सकता।
तब नटवरलाल कहता तुम्हें...