इंसानियत
इंसानियत की जाति नहीं कोई धर्म नहीं, कोई ओहदा नहीं होता है
यह तो सर्व धर्म से ऊपर ख़ुदा के करीब होने का ज़ज़्बा होता है
कितनी सादगी और ईमानदारी से हर इंसान मिलकर रहता था
इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब और उनका पहला कर्म होता था
ना पैसा ना दौलत ना शौहरत किसी को कभी खींच सकती है
इक इंसानियत ही है जो इंसान को इंसान के नज़दीक...
यह तो सर्व धर्म से ऊपर ख़ुदा के करीब होने का ज़ज़्बा होता है
कितनी सादगी और ईमानदारी से हर इंसान मिलकर रहता था
इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब और उनका पहला कर्म होता था
ना पैसा ना दौलत ना शौहरत किसी को कभी खींच सकती है
इक इंसानियत ही है जो इंसान को इंसान के नज़दीक...