...

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विश्वास की डोरी ......
हैलो दोस्तों मै आपकी दोस्त मुस्कान
आज कहना चाहती हूं अपने साधारण
से शब्दो मे अपने मन की बात ,
हो सकता है जो मै कहूं आपको अच्छा
ना लगे बताने से हिचकिचाना ना
अगर बुरा लगे ...............

पता है अक्सर मैंने अपने आस पास
देखा है जब बच्चे छोटे होते है तो
लड़का , लड़की सभी एक साथ
खेलते हैं और माता पिता को कोई
एतराज़ नही होता .............

पर जैसे ही वही बच्चे बड़े हो जाते
बस फिर लगती है उन पर बंदिशे

मै ये नही कहती की माता पिता
की सोच गलत है .......

बस पूछना चाहती हूं इतना
की क्या? उन्हे अपनी परवरिश
पर विश्वास नही है ........

क्या? इतनी कमज़ोर
है उनके विश्वास कि डोरी

अगर जरा सा लेट हो जाओ
तो सवाल करना गलत नही
पर शक करना भी तो सही
नही ........

पता है कई बार माता पिता
अगर लड़की के बारे में कुछ
भी उल्टा सीधा सुन ले तो
उसकी जॉब , पढ़ाई बंद
कराकर उसकी शादी करवा
देते हैं ......

लड़की के बार बार कहने
पर भी की उसकी कोई
गलती नहीं ......... वो ये तक
जानने का प्रयास नही करते
की हो सकता है सच में
उनकी बेटी की कोई गलती
नही ..........

एक सवाल?

बिन पूरी बात सुने , फैसला
कर देना क्या? सही है ......

क्या? उनको अपनी ही परवरिश
पर विश्वास नही है

कई बार सही होकर भी गलत
साबित हो जाती हैं लड़कियां

क्युकी लोगो की सोच आज भी
वही की वही है ........

यू तो दुनिया की किस्मत
लिखती हैं स्त्री पर खुद की
ही किस्मत लिखने का
उसको हक नही है ......।

अगर कोई बात बुरी
लगी हो तो sorry .....
आपकी मुस्कान .....
अक्सर लिख देती हूं जो
मन में आता है जरा
नादान हूं सही , गलत,
अच्छा बुरा मुझे समझ
नही आता है।





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