चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। आज उसे एक चिट्ठी बताने वाली थी।कुछ देर बाद सुप्रिया लाइब्रेरी में आती है।और मिलते हुए कहते है आज तुम्हारी खुशी का ठिकाना नही रहेगा निकिता और भी बेचैन हो जाती और पूछती है आखिर क्या है हमे बताओ भी सुप्रिया कहती है तुमने जो जुलाई में पेपर दिया था ।उसका ही...