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चिट्ठी

लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। आज उसे एक चिट्ठी बताने वाली थी।कुछ देर बाद सुप्रिया लाइब्रेरी में आती है।और मिलते हुए कहते है आज तुम्हारी खुशी का ठिकाना नही रहेगा निकिता और भी बेचैन हो जाती और पूछती है आखिर क्या है हमे बताओ भी सुप्रिया कहती है तुमने जो जुलाई में पेपर दिया था ।उसका ही आयोग से पत्र आया है तुम घर गई थी इस वजह से हम भी सोचे की तुम्हारे आने पर ही तुम्हे सरप्राइज़ दूंगी।और यही वह पत्र हैं जो तुम्हे काफी दिनों से इंतजार थी ।निकिता का वास्तव में खुशी का ठिकाना नही रहता था क्योंकि उसने मेहनत भी की थी ।दिन रात एक कर दिया था इस एग्जाम के लिए आज उसे अपने उस पत्र में नजर आ रहा था ।सुप्रिया भी उसके साथ काफी खुश थी क्योंकि दोनो एक साथ पड़ती थी ।भले ही दोनो का लक्ष्य अलग थी ।लेकिन पढ़ाई में कोई भी कमी नही की ।आज लाइब्रेरी में सभी लोगों को यह पता चलता है की निकिता का चयन पीसीएस अधिकारी पद पर हो जाता और वहां के सभी को एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।जो आज के पहले नही हुए जो आज हुए ।अब निकिता फोन मिलाती घर पर और बड़े ही उत्साह से बताती है ।परिवार का माहौल खुशनुमा बन जाता है ।क्योंकि एक लड़का या लड़की के माता_पिता को खुशी तब बहुत होती है जब उसका लड़का अपने जीवन में एक अच्छे पायदान पर हो ।वर्तमान समय में नौकरी मिलना कितना मुश्किल लोग भली भाती से अवगत हैं आज तो निकिता के लंबे समय का अथक परिश्रम से सकारात्मक परिणाम से उसके परिवार ही नही बल्कि पूरे जनपद का भी नाम रौशन किया था।सुप्रिया और निकिता भले ही साथ ना रहे हो लेकिन उनका ज्यादा समय लाइब्रेरी में ही बीतता था ।आज निकिता ही नही बल्कि उसके जैसे बहुत सी लड़कियां के लिए मिशाल बन गई ।निकिता की बेचैनी कब खुशी में बदल गई उसे पता भी नही चला ।क्योंकि आज लाइब्रेरी में अकेले अपने पन्नो को निहार रही थी काफी देर से उसका मन नही लग रहा था जबसे सुना है की सुप्रिया आज कोई पत्र के बारे में बताने वाली थी। सहज स्वभाव की निकिता जो किसी से बात करने में कभी नही हिचकती चाहे घर हो या लाइब्रेरी अपने सरलता सके ऊपर छोड़ जाती थी।
© genuinepankaj