उम्मीद की किरण
सरिता अपने नाम की तरह ही एक ऐसी बेटी थी जो अपने साथ सबको लेकर चलती थी। बड़ी ही जिम्मेदारी थी उसके कंधों पर । पिता को बचपन से सिर्फ नशे में चूर ही देखी । मां किसी तरह परिवार की गाड़ी चला रही थी। तीन भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी होने का खामियाजा अपने पढ़ाई को तीलांजली देकर चुकानी पड़ी।
किसी तरह जुगाड़ कर कपड़े की दुकान पर अपने लिए एक काम जुगाड़ कर सुबह से शाम तक व्यस्त रहना उसे घर की कलह से दूर शुकुन ही दे रहा था।
दिन- रात मेहनत कर...
किसी तरह जुगाड़ कर कपड़े की दुकान पर अपने लिए एक काम जुगाड़ कर सुबह से शाम तक व्यस्त रहना उसे घर की कलह से दूर शुकुन ही दे रहा था।
दिन- रात मेहनत कर...