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अह्सास
प्यार,,
लोगों के अनुसार ये दुनिया का सबसे खुबसूरत अहसास है! पर मुझे लगता है नहीं ये वो सबसे घटिया अहसास है जो आप किसी से बयां नहीं कर पाते, होते होंगें ख़ुश थोड़े पल को पर वो किसी से बिल्कुल भी कुछ न बताने का अहसास, सब कुछ छिपाने का नाटक बहुत ज्यादा ख़राब होता है!!
बिल्कुल आप प्रेम रखो पर प्यार के लिए थोड़ा सोच लो!!
वो भी विशेष रुप से किसी व्यक्ति से!!
खुद से हो, प्रकृति से हो तो ठीक लेकिन व्यक्ति से..!
जिन जगहों पर आप अकेले अपनी खुशी के लिए जाते हो उन जगहों पर अगर आपको किसी की कमी लगने लगे, जिन रातों को आप का तारों से सजी बारात मानकर खुशी से झूम जाते हों उन रातों में जब सूनापन लगने लगे तो क्या ये अहसास अच्छा है?
आप अपने आपको वैसे नहीं पाओ जैसे आप कुछ दिनों पहले थे, आप अपना साथ पाकर भी खुश और संतुष्ट न रहो तो क्या ये अहसास अच्छा है?
मेरे लिए तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि ये प्यार आपको ख़ुद से दूर कर देता है, आपके शौक, ज़िन्दगी जीने के अन्दाज़ और मुस्कान से बिल्कुल अलग कर देता है!
ग़र प्रेम है तो बिल्कुल वो आपको उठाएगा क्योंकि प्रेम सबके लिए होगा, बेशक आपके मुस्कुराहट की वजह बनेगा, आपको अवसाद में कभी नहीं लाएगा, आपको खुद से दूर नहीं करेगा, मुस्कान बांटेगा न कि ग़म की रेखा खींचेगा!!
मेरे विचार से ये प्यार दुनिया का सबसे खुबसूरत नहीं सबसे घटिया और अन्दर ही अन्दर घुट जाने वाला अहसास है!!
प्रेम सबसे जरूर करें लेकिन
प्यार के लिए एक बार सोच लें!!
इस पर आप अपने विचार ज़रूर दें!!
सहमत हैं तो भी नहीं है तो भी!!
धन्यवाद!!

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© Princess cutie