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मेरे बचपन का अनुभव
बचपन में समझ में नहीं आता क्या कर रहे हैं? क्या करना चाहिए? जो भी चीज दिखता है वह हमारे लिए नया ही होता है. क्या सही है क्या गलत है कुछ समझ ही नहीं पाते जब मैं 4 वर्ष की थी तब मुझे मीठा बहुत ज्यादा पसंद था मुझे मीठा आज भी पसंद है एक बार मैं और मेरे दोस्त जया द्वार पर गए खेलने के लिए वहां पर एक बोरी यूरिया रखी थी जानते ही हैं कि यूरिया और चीनी दोनों सफेद होते हैं फिर भी दोनों में अंतर होता है कहां राजा भोज कहां गंगू तेली जया मीठा पर उतना ध्यान नहीं देती थी लेकिन मेरे लिए जान जाए मगर मीठा ना जाए मैंने एक बोरी चीनी देखा तो मेरे मुंह में पानी आ गया मैंने जया से कहा कि चलो थोड़ा थोड़ा चीनी खा लेते हैं लेकिन वह बोली नहीं मत खाओ वरना तुम्हारे पापा डालेंगे तो मैंने बोला कि तू मत खाओ देखते रहना पापा ना आए मैं जा रही हूं खाने मुझे मीठा का भूत ही चल गया था एक मुट्ठी भर कर यूरिया लेकर जय बजरंगबली का कर मुंह में डाल लिया तब तक मेरे पापा वहां आ गए और जब तक वह रोकते तब तक मैंने मुंह में यूरिया डाल दिया था मैं बेहोश होने लगी तब कुछ लोगों ने बताया कि नमक पानी पिलाओ उसे उसी समय मालूम नहीं कितना नमक पीना पड़ा मुझे तब मेरे मुंह से ब्लड आने लगा और उसके साथ मेरा जहर भी निकल गया और मैं बच गई फिर भी मीठा खाना कम नहीं हुआ.

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