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TAPSARA-E-HALAAT
कोरोना काल
साल २०२० एक ऐसी आपदा लेकर आया है की तमाम दुनिया जैसे किसी खौफ मैं जीने को मजबूर हो गई है. हमारे मुल्क़ में भी वब्बा और मर्री का मंज़र नज़र आता है. शायद किसी ने सोचा भी ना था की हम अपनों से पास होकर भी कितना दूर हो जायेंगे.. मज़दूरों ने कभी ये सोचा ना था की वो इस तरह अपनी रोज़ी रोटी से भी मजबूर हो जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो हज़ारो किलोमीटर पैदल भी चले जायेंगे... किसी ने ये सोचा ना था की वो घरो मैं भी कैद हो जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो एक दूसरे पे इस तरह से शक करेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो इतने दानी बन जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो किसी की भी मदद करने को तैयार हो जायेंगे.. बहुत बदलाव हो गया है इस कोरोना काल मैं.. उसी की मार्फ़त मैंने इस किताब मैं लोगो की भावनाओ और उस कोरोना काल के माहौल को पिरोया है... उम्मीद है आप को पसंद आएगी...

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