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चप्पल
बरसात शुरू हो गई। बुढ़िया जल्दी जल्दी कदम बढ़ा रही थी, भीग जाने पे बीमार पड़ने पर अस्पताल में सौ रुपए कौन खर्च करे।
वैसे भी आज कल डाक्टर लोग बेवजह ही पैसे लूटने के लिए भर भर के दवाईयां लिख देते है। यह सोच ही रही थी की बुढ़िया की चप्पल टूट गई, अभी 6 महीने ही हुए थे चप्पल लिए, अब सिलवाने के कम से कम 30 लेगा मोची। उधर बुढ़ऊ के पास भी चप्पल नहीं है। परेशान बुढ़िया ने चप्पल हाथ में उठाई और भीगने से बचने के लिए एक मकान के ओट में खड़ी हो गई। मकान के चबूतरे पर एक छोटी बच्ची अपनी गुड़िया का ब्याह रचा रही थी। गुड़िया को उसने एक हार पहना रखा था। बुढ़िया हतप्रभ देखती रह गई। हार तो सोने का लगता है। कैसे लोग है, बच्ची को इतना महंगा हार दिया हुआ है। लोभवश बुढ़िया ने बच्ची को बहला फुसला कर हार ले लिया और कोई देख न ले इस डर से बारिश में ही भीगते हुए हार लेकर भाग उठी। जब बच्ची की महतारी को पता चलता है कि उसके हार के साथ क्या आपबीती हुई है तो उसने अपनी...