...

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चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी। आखिर क्या था ऐसा उस चिट्ठी में?
कुछ समय बाद सुप्रिया लाइब्रेरी आई। सुप्रिया को देखकर निकिता की धड़कन और तेज़ हो गई। उसने सुप्रिया का हाथ पकड़ा और उसे कोने में ले गई।
"सुप्रिया, तुम्हें कहा मिली वो चिट्ठी"? और क्या पता है तुम्हें"?
"निकिता रुको...शांत हो जाओ और मेरी बात को ध्यान...