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KHAAR (PART ||| ) - DONGRA
तो चलिये चलते हैं उन सभी सवालों का जवाब जानने जिन्हें इस कहानी के पिछले भाग में हम छोड़ आये थे।
खार अब एक नई जगह पर था। जिसका नाम था डोंगरा।
डोंगरा एक बहुत ही सुंदर राज्य था, जिसका प्रवेश द्वार खार को बहुत आकर्षित कर रहा था। इसकी दो वजह थीं, पहली उसका विशाल आकार, और दूसरी वजह था वो चिन्ह जो खार की पीठ पर बने चिन्ह की तरह था।
खार बहुत भूखा होता है और अभी जो उसके साथ हुआ, उन सब चीज़ों की वजह से वो द्वार के निकट ही बेहोश हो जाता है।
पास ही के एक खेत में एक किसान काम कर रहा होता है, अचानक उसकी नज़र खार पर पड़ती है।
कुछ वक़्त बाद खार की आँखें खुलती हैं और वो अपने आप को एक झोपड़ी में पाता है।
तभी खार के सामने वो किसान आता है और उसे बताता है कि किस तरह वो उसे बाहर बेहोश पड़ा मिला, और वो उसे अपनी झोपड़ी में ले आया।
खार उस किसान से कहता है कि मैं यहाँ का नहीं हूँ। पता नहीं किस तरह मैं यहाँ पहुँच गया हूँ।
किसान मुस्कराते हुए कहता है कि पहले कुछ खा लो फ़िर ये सारी बातें करेंगे।
किसान खार को खाना लाकर देता है, और भूख की वजह से खार बड़ी तेज़ी से और बड़े ही खराब तरीके से खाना, खाना शुरू कर देता है।
खाना खत्म होते ही खार उस किसान से उसके बारे में और उस जगह के बारे में पूछता है।
किसान कहता है कि मेरा नाम कुंतू है। ये डोंगरा राज्य है। खार पूछता है कि तुम मुझे देखकर मुस्करा क्यों रहे थे?
कुंतू कहता है, तुम्हारे पीठ पर बने उस निशान की वजह से।
ये सुनकर खार हैरान रह जाता है।
खार पूछता है कि क्या तुम इस निशान को जानते हो? क्या अर्थ है इस निशान का?
कुंतू कहता है कि खार तुम्हें ये राज्य कैसा लगा? खार कहता है कि मैंने इस राज्य को अंदर से नहीं देखा है, मैं तो बाहर प्रवेशद्वार पर ही बेहोश हो गया था।
कुंतू खार से कहता है कि खार अगर तुम चाहो, तब भी इस राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते।
कुंतू कहता है खार, मैं इस राज्य की सीमा के बाहर रहता हूँ, उसका एक कारण है।
दरअसल मैं एक वक़्त डोंगरा का राजा था।
मेरा राज्य बहुत खुशहाल और विकसित था। मैं एक जादूगर हूँ। असल में उस राज्य के सभी लोग जादू कर सकते हैं, उन सभी के पास अलग अलग शक्तियाँ हैं। एक दिन डोंगरा में एक जादूगर आया जिसका नाम था "शंकना"।
शंकना असीमित शक्तियों का स्वामी है । वो मुझसे मेरा राज्य चाहता था। हम दोनों में युद्ध हुआ किन्तु उसने, कुछ पत्थरों की मदत से एक एसा जादू रचा, जिससे मैं इस राज्य के बाहर आ गिरा, और इस पूरे राज्य पर एक अदृश्य दीवार का निर्माण हो गया, जिससे ना तो कोई इस राज्य से बाहर आ सकता है , और ना ही कोई अंदर प्रवेश कर सकता है।
खार कुंतू से कहता है कि लेकिन इस बात का मेरी पीठ के निशान से क्या लेना देना?
कुंतू कहता है कि खार ये कोई आम निशान नहीं ब्लकि, उन्हीं तीन पत्थरों के निशान हैं जिनके जादू से ये राज्य बंद हो चुका है।
खार इस बात को सुनकर बहुत हैरान हो जाता है।
अभी भी कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब नहीं है। शायद इनमें से कुछ के जवाब मिलें, पर कहानी के अगले भाग में...

© AK. Sharma