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गागर में सागर भरना
"गागर में सागर भरना"

रूपरेखा:
प्रस्तावना
मुहावरे से तात्पर्य
उक्त मुहावरे का अर्थ
वाक्यों में प्रयोग
गागर में सागर का किस्सा
उपसंहार

प्रस्तावना:
वैसे तो पढ़ने में यह एक साधारण सा मुहावरा लगता है ,लेकिन हिन्दी का यह मुहावरा कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाता है। हिन्दी साहित्य में 'गागर में सागर' भरने वाले कवि की संज्ञा महान कवि बिहारी लाल को दी जाती है।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।

मुहावरे से तात्पर्य:
मुहावरा का शाब्दिक अर्थ ‘अभ्यास’ है। मुहावरा शब्द अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में ऐसे वाक्यांशों को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोडकर विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

उक्त मुहावरे का अर्थ:
गागर में सागर भरना एक आदर्श लोकोक्ति या हिन्दी मुहावरा है जिसका अर्थ है "कम शब्दों में अधिक गहरी बात कह देना" या "संक्षेप में गहरी बात कह देना"
किसी गागरिया या घड़े में सागर नहीं भर सकता क्योंकि सागर तो काफी बड़ा होता है और एक गगरिया उसके सामने है ही क्या लेकिन जब गागर में सागर भरने की बात आए तो मतलब होता है कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाना.

वाक्यों में प्रयोग:
जब किसी दोहे, चौपाई, छंद में से कई अर्थ निकलते हैं तब गागर में सागर भरना मुहावरे का प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त दैनिक बोलचाल में भी किसी की प्रशंसा हेतु इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं –
1. कबीर के दोहों की क्या बात है, बस दो ही पंक्तियों में गागर में सागर भर दिया है।
2. हमारे गुरुजी जब बोलना शुरू करते हैं तो कई बार गागर में सागर भर देते हैं।
3. वाह! राम ने आज क्या भाषण दिया, मानो गागर में सागर भर दिया हो।

गागर में सागर का किस्सा:
जयपुर-नरेश मिर्जा राजा जयसिंह अपनी नयी रानी के प्रेम में इतने डूबे रहते थे कि वे महल से बाहर भी नहीं निकलते थे और राज-काज की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। मंत्री आदि लोग इससे बड़े चिंतित थे, किंतु राजा से कुछ कहने को शक्ति किसी में न थी। बिहारी ने यह कार्य अपने ऊपर लिया। उन्होंने निम्नलिखित दोहा किसी प्रकार राजा के पास पहुंचाया -

नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
अली कली ही सा बिंध्यों, आगे कौन हवाल।।
इस दोहे ने राजा पर मंत्र जैसा कार्य किया। वे रानी के प्रेम-पाश से मुक्त होकर पुनः अपना राज-काज संभालने लगे। वे बिहारी की काव्य कुशलता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बिहारी से और भी दोहे रचने के लिए कहा और प्रति दोहे पर एक अशर्फ़ी देने का वचन दिया। बिहारी जयपुर नरेश के दरबार में रहकर काव्य-रचना करने लगे, वहां उन्हें पर्याप्त धन और यश मिला।

उपसंहार:
यहां हमने “गागर में सागर भरना” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसके वाक्य प्रयोग को समझा।जिसका सबसे अच्छा उदाहरण हम अपने ऋषि मुनि या फिर हमारे विश्व गुरु स्वामी विवेकानंद कबीर जी के द्वारा समझ सकते हैं, उन्होंने जो भी उपदेश हमें दिया है वह शब्दों में कम होते हैं, लेकिन उनके शब्दों में जो गहराई होती है वह लोगों को प्रेरित करती है, आगे बढ़ने की और उत्साहित करती है, अपने जीवन में अपने जीवन में आ रहे सारे समस्याओं के समाधान उन थोड़े से शब्दों में दिया गया है। चुकी यह मुहावरा है और मुहावरा और असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए यहां इस मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करने से हैं।