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मजबूरी part 1
गजरा और गगन को लेकर उसके माता-पिता
मेला दिखाने जा रहे थे,
सड़क पर भीड़ अत्यधिक थी देखते ही देखते अचानक ट्रक आ गया, और ट्रक टैक्सी से टकरा गया, टैक्सी में गजरा गगन और उसके माता- पिता बैठे थे, टैक्सी पूरी तरह पलट गयी
टैक्सी के पलटते ही भीड़ जमा हो गयी,
किसी तरह से लोगों ने टैक्सी में बैठे हुए लोगों को बाहर निकाला, चोट तो सभी को आयी किंतु गजरा के माता- पिता के सिर में चोट लग जाने से सिर से बहुत अधिक ख़ून बह रहा था, ख़ून बहने के कारण उसके माता-पिता की उसी स्थान पर मृत्यु हो गयी, गजरा रो रही थी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह क्या करे, गजरा 8 साल की थी,
और उसका भाई 5 साल का था,
देखने वालों को गजरा और गगन पर दया आ गयी, सभी ने कहा भाई चलो इसके माता -पिता को इसके घर तक पहुंचा देते हैं,
लोगों ने लाश को गाॅंव में पहुंचा दिया,
गाॅंव वाले यह सब देखकर हैरान रह गए,
गाॅंव के लोगों ने किसी तरह अंतिम संस्कार करवा दिया।
गजरा गगन को गले लगा कर रो रही थी,
गजरा समझदार थी उसे पता था कि माता- पिता कभी वापस नहीं आएंगे, गजरा भाई को समझा रही थी कि मेले में बहुत भीड़ थी जिसके कारण माता-पिता खो गए हैं,दो-चार दिन में वापस आ जाएंगे, गगन रोते- रोते सो गया लेकिन गजरा को नींद नहीं आ रही थी, रात का समय था गजरा को बहुत प्यास लगी थी बाहर कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई पड़ी जिसके कारण गजरा पानी नहीं पी पायी गजरा को डर लग रहा था अगर वह बाहर पानी पीने के लिए नल तक जाएगी तो कुत्ता कहीं काट ना ले,
इस प्रकार रात कट गयी और फिर सुबह हो गयी,
सुबह गगन ने कहा मुझे बहुत भूख लगी है,
गजरा ने गगन को पानी पीने को दिया,
अब गजरा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे गजरा सोचने लगी मैं अब क्या करूं मुझे भोजन बनाना तो आता ही नहीं है।