...

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रोज वक्त रेत की तरह हाथों से फिसलता जा रहा है पर मेरी कोशिशें हैं कि ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं....
कोशिश करता हूँ मैं हर लम्हा हर पल
के भुला सकूँ उन सभी यादों को....
कोशिश करता हूँ मैं हर लम्हा हर पल
के तोड़ सकूँ अतीत की उन बेडियों को..
साथ ही कोशिश करता हूँ यह भी
कि माफ कर सकूँ खुद कि भी उन गलतियों को..
एक कोशिश यह भी होती है कि
भर सकूँ नासूर बन चुके उन जख़्मों को..
कोशिश करता हूँ यह भी कि
कहीं कोई पढ़ न ले दर्द भरे इन आँखों को...
कभी कभी लगता है कि शायद कोशिशें रंग ला रही हैं
लोगों को मेरी झूठी मुस्कान पर एतबार दिला रही है...
फिर होता है कुछ ऐसा उसी लम्हे में कि
सारी कोशिशें नाकाम सी हो जाती हैं...
वो जो बीत गया था कभी वक्त के साथ
वो तकलीफें फिर नया दर्द दे जाती हैं...
फिर भी कोशिश मैं जारी रखता हूँ हर लम्हा हर पल
के बचा सकूँ ऐसी तकलीफों से किसी और का आने वाला कल.....

@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️