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पद्मा
पद्मा आज चुपचाप बैठी थी। आज उसकी जिम्मेदारी पूरी हो गई थी। वो अपने कमरे में बैठी चाय पी रही थी। वह भी बहू के हाथों की बनी चाय। भले ही फीकी थी पर बनी बनाई चाय उसे मिल रही थी। कितने साल बीत गए जब से शादी हुई खुद ही सब कुछ बना कर खाती और पीती थी। माँ कहती थी मेरे बाद तुझे कौन देखेगा? एक ही तो भाई है जिसने भी लवमैरेज की है।
पद्मा ने भी लवमैरेज कर ली पर अपने से कम जाति वाले से। सब नाराज थे। माँ ने मुँह फेर लिया, पिताजी ने भी कुछ नही कहा।संतोष के साथ गाँव चली गई पद्मा दिन अच्छे ही बीत रहे थे। संतोष की ग्राम पंचायत में नौकरी थी। पद्मा घरके काम में मन लगा लेती थी। सास-ससुर बडी बहू के पास रहते। कभी इधर भी आ जाते।
पता नही संतोष को क्या हो गया।उसने नौकरी छोड दी और कम्युनिस्ट पार्टी जॉइन कर ली। अब वह घर देर से आने लगा। न घर में ध्यान देता न माता-पिता को ही पूछता। इसी बीच पद्मा प्रेग्नेंट हो गई। समय बीतना कठिन होने लगा। संतोष अपना आधा...