पछतावा!!
पछतावा !
दुर पहाड़ों के बीच एक सुंदर गांव बसता जिसमें एक किसान परिवार रहा करता था
परिवार का मुखिया डाकीय का काम करते
और उनकी पत्नी और बेटा खेती बाड़ी काम देखते ! पुरा परिवार ईमानदारी से काम करता और खुशहाल जीवन जीता ।समय बीता बेटा जिस का नाम समिर था वो शादी लायक हो गया उसकी शादी गांव की सोनाली नाम की लड़की से हो गई।
फिर एक साल गांव में इतनी ठंड पड़ी की
खेत की फसल खराब हो गई और समिर पे गांव के जमींदार का कृज बढ़ता चला गया।
उस कृज को चुकाने के लिए समिर सोनाली के साथ शहर जाके मजदूरी का काम करने लगा।
शहर में काम करते करते वो इतना व्यास्त हो गया की गांव में अपने मां बाप से बात करना भी भुल गए। फिर एक दिन उसे गांव से चिट्ठी मिली जिसे पढ़ कर वो और सोनाली गांव की ओर निकल पड़े। गांव जाकर देखा तो पता चला की उसके मां-बाप का बीमारी के कारण निधनं हो गया है ।इस बात को सुनकर समिर अपने आप को कोसना लगात हैं और निधनं का जिम्मादार खुद की लापरवाही को मानना लगा । उसी रात अचानक से उसकी मां का साया उसको दिखाईं देता है और बताता है कि कृज के पंसे दिन रात मेहनत कर के जोड़ लिया थे और सोनाली को फोन कर के बताया भी था की हम लोग तुम दोनों का इंतजार कर रहे हैं कि कब समिर आए और कृज चुका के फिर से खेती शुरू कर दें पर बेटा तुम ने आने में कई साल लगा दिया और हम तेरा इंतज़ार नी कर पए पर अब तु मेरी इच्छा पूरी कर और खेती शुरू कर दें।समिर पछताता है और इच्छा पूरी करता है।
© Astha
दुर पहाड़ों के बीच एक सुंदर गांव बसता जिसमें एक किसान परिवार रहा करता था
परिवार का मुखिया डाकीय का काम करते
और उनकी पत्नी और बेटा खेती बाड़ी काम देखते ! पुरा परिवार ईमानदारी से काम करता और खुशहाल जीवन जीता ।समय बीता बेटा जिस का नाम समिर था वो शादी लायक हो गया उसकी शादी गांव की सोनाली नाम की लड़की से हो गई।
फिर एक साल गांव में इतनी ठंड पड़ी की
खेत की फसल खराब हो गई और समिर पे गांव के जमींदार का कृज बढ़ता चला गया।
उस कृज को चुकाने के लिए समिर सोनाली के साथ शहर जाके मजदूरी का काम करने लगा।
शहर में काम करते करते वो इतना व्यास्त हो गया की गांव में अपने मां बाप से बात करना भी भुल गए। फिर एक दिन उसे गांव से चिट्ठी मिली जिसे पढ़ कर वो और सोनाली गांव की ओर निकल पड़े। गांव जाकर देखा तो पता चला की उसके मां-बाप का बीमारी के कारण निधनं हो गया है ।इस बात को सुनकर समिर अपने आप को कोसना लगात हैं और निधनं का जिम्मादार खुद की लापरवाही को मानना लगा । उसी रात अचानक से उसकी मां का साया उसको दिखाईं देता है और बताता है कि कृज के पंसे दिन रात मेहनत कर के जोड़ लिया थे और सोनाली को फोन कर के बताया भी था की हम लोग तुम दोनों का इंतजार कर रहे हैं कि कब समिर आए और कृज चुका के फिर से खेती शुरू कर दें पर बेटा तुम ने आने में कई साल लगा दिया और हम तेरा इंतज़ार नी कर पए पर अब तु मेरी इच्छा पूरी कर और खेती शुरू कर दें।समिर पछताता है और इच्छा पूरी करता है।
© Astha