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band darwaja (sheen the tale of warrior) part-2
ओशीन की अम्मी कॉल।पर बहुत हैरानी से कुछ बोल रही होती है तभी ओशीन अपनी अम्मी को देख कर कहती है —

"अम्मी क्या हुआ किसका फोन है और आप इतनी चौक क्यों गई?"

ओशीन की अम्मी कहती है—

"ओशीन तुम्हारी बहन आयशा का कॉल है वो कह रही है की वो आज शाम दिल्ली आ जायेगी"

यह सुनते ही ओशीन खुशी से उठती है और अम्मी के पास जाकर फोन लेते हुए कहती है—

"आयशा कैसी है तू और जो अम्मी के रहे है क्या वो सच है तुम सच में दिल्ली आ रही हो"

दूसरी तरफ आयशा खुश होते हुए कहती है —

"हा ओशीन में आ रही हु"

यह सुनते है ओशीन खुश से उछल पड़ती है और अम्मी को गले लगा लेती है तभी आयशा कहती है —

"चलो में एयरपोर्ट पहुंच कर आपको कॉल कर दूंगी अभी में रखती हु"

यह कहकर ओशीन ठीक है में जवाब देती है और फोन कट कर देती है।

और अपनी अम्मी से बोलती है —

"अम्मी अब्बा अब में जा रही हु काम पर शाम को मिलते है"

 यह कहकर वो अपना बैग लेकर चले  जाती है वो पैदल –पैदल जा रही होती है वो एक लाइब्रेरी में काम करती है रास्ते मैं जाते वक्त उसको एक बूढ़ा आदमी दिखाई देता है जो रोड की दूसरी तरफ जाना चाहता था वो आदमी काम से काम 70 साल का कमर झुकाए हाथ में लाठी लिए खड़ा था ,

ओशीन एक ऐसी लड़की थी जो दूसरो की मदद करने से कभी नही रुकती थी इस लिए वो उस आदमी की मदद करने के लिए तैयार हो जाती है वो उस आदमी की ओर बड़ती है और उनसे कहती है —

"क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकती हु"

यह सुनते ही वो आदमी ओशीन को गौर से देखता है और कहता है —

"शुक्रिया! क्या मुझे तुम उस सड़क पार कर सकती हो?"

"जी जरूर"

यह कहकर ओशीन उस आदमी का हाथ थाम कर सड़क की दूसरी तरफ ले जाती है यहां वे आदमी ओशीन से कहता है —

"तुम्हारा शुक्रिया क्या में तुम्हारा नाम जान सकता हु ?"

ओशीन हिचकिचाते हुए उस आदमी को अपना नाम बताए हुए कहती है —

"मेरा नाम ओशीन है"

वो आदमी उससे कहता है —

"क्या मैं तुमसे कुछ जरूरी बात कर सकता हु अगर तुम्हारे पास समय है तो?"

पहले तो ओशीन को यह बात सुनकर थोड़ा अजीब लगता है की एक अनजान व्यक्ति उससे क्या जरूरी बात करना चाहता है?

ओशीन यह सोच ही रही थी की तभी वो बूढ़ा आदमी उसे उसके ख्यालों से बाहर निकलते हुए कहता है की —

"क्या हुआ तुम किस सोच में पढ़ गई ?"

ओशीन कहती है—

"कुछ नही वो बस ऐसे ही"

वो बूढ़ा आदमी उससे कहता है की—

"अगर तुम्हारे पास समय नहीं है तो तुम यह कार्ड रख लो जब समय मिले तो इस पते पर आ जाना "

यह कहकर वो बूढ़ा आदमी वहा से चले जाता है ओशीन बस उस आदमी को देखती रहती है जब तक वो उसकी आंखो से ओझल नहीं हो जाता,

ओशीन उस कार्ड को पहले गोर से देखती है तो उसको दिखता है की कार्ड के सामने वही तरफ एक क्रॉस का निशान बना हुआ है वो पहले तो यह सोचती है की वो बूढ़ा आदमी किसी चर्च का पुजारी है लेकिन वो अचानक ही उसकी नजर अपनी घडी में पड़ती है तो वो टाइम देखते ही वो चोक जाती है और कहती है —

"ओह! नही में तो टाइम देखना ही भूल गई आज तो पक्का गई"

यह कहकर वो जल्दी जल्दी सड़क पार करके अपने काम पर चले जाती है।

थोड़ी देर बाद ओशीन एक बड़ी सी दिखने वाली बिल्डिंग के सामने होती है जो की एक बड़ी सी लाइब्रेरी होती है, जैसी वो अंदर जाती है तभी वहा की मैनेजर उसके सामने आती है और कहती है —

"ओशीन तुम लेट हो कहा थी अभी तक?"

तभी ओशीन थोड़ा डरते हुए कहती है —

"वो ट्रेफिक लग गया था तो में लेट हो गई सोरी अगली बारी से ध्यान दूंगी"

वो मैनेजर फिर ओशीन से कहती है —

"चलो कोई बात नही अगली बार से ध्यान रखना और लेट मत होना अब अपना काम करो"

ओशीन यह सुनकर चुप चाप अपने काम पर लग जाती है ओशिन उस लाइब्रेरी में बुक्स को सही जगह पर लगाती है और साफ सफाई का काम करती है इन सभी के अलावा वो अपनी ही एक अलग दुनिया जो की किताबो से भरी हुइ है उनमें खो जाती है ,

ओशीन अपना काम करने लग जाती है वो जो नई किताबे आई होती है उनको एक जगह पर लगाने लगती है तभी एक स्टाफ आकर ओशीन से कहती है —

"ओशिन क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम कर सकती हो? क्या तुम यह कुछ किताबे नीचे बेसमेंट में रख आ सकती हो ? मुझे कुछ काम है इस वजह से मैं वहा नही जा सकती और हा ध्यान रखना की उस बेसमेंट के अंदर का को दरवाज़ा है उसको खोलना मत तुम्हे तो पता ही है मैनेजर का"

ओशीन ठीक है में जवाब देकर वो किताबे उठाती है और नीचे बेसमेंट की तरफ चले जाती है बेसमेंट के बाहर पहुंच कर वो पहले बेसमेंट का दरवाज़ा खोलती है और अंदर रखी शेल्फ पर उन किताबो को रख देती है,तभी ओशीन को स्टाफ की वो बात याद आती है वैसे तो ओशीन जानती थी की सभी कर्मचारियों को पहले से ही उस दरवाजों को खोलने की मनाही थी

लेकिन ओशीन एक जिज्ञासु किस्म की लड़की होने की वजह से हमेशा उस दरवाज़े की बारे में यह सोचती थी—

"क्या हो सकता है उस दरवाज़े के पीछे?" लेकिन फिर वो उस ख्याल को अपने बाकी खयालों की तरह भूल जाती थी

ओशीन किताबे रख कर जाने लगती है की तभी उसको दरवाजे के पीछे से एक रोशनी दिखाई पड़ती है पहले तो ओशीन को अजीब सा लगता है और वो सोचती है की —

"एक बंद कमरे के अंदर से रोशनी कैसे आ सकती है "

वो अब इस बात को जानने के लिए धीरे धीरे उस दरवाजे की तरफ अपने कदम बढ़ाती है वो मैनेजर की बाते भी भूल चुकी होती है और दरवाजे के पास पहुंच जाती है वह उस दरवाजे पर बने एक होल से अंदर देखने की कोशिश करती है

उसको कुछ ढंग से नजर नहीं आ रहा था पर जहा तक वो देखती है उसको एक क्रिस्टल बॉल दिखाई पड़ती है और वो यह देख कर बहुत चौक जाती है।

क्या था दरवाजे के अंदर और क्यू मना किया था उनकी मैनेजर ने उनको अदंर जाने से और क्या क्या था उस किस्तल बाल का राज क्या ओशीन पता लगा पाएगी अपने सपनो का भी राज जानने के लिए पढ़ते रहिए  (शीन की कहानी)