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एक शाम तेरे संग
वो‌ एक शाम और
उसमें तेरा साथ।
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आज उनसे मिलने कि बेताबी में सारा काम जल्दी समेट रहा हूं, जो‌ समान कुछ बिखरे हुए हैं वो‌ सब लपेट रहा हूं। तभी मोबाइल पर एक मेसेज आया ‌कि‌ सुनो आज मिलना‌ ज़रा मुश्किल है क्योंकि मेरे सामने पड़ा काम का ढेर है‌ तो आप मेरा इंतजार ना करना अपनी शाम खराब ना करना।। मैंने दुखी मन से एक मेसेज किया कि कोई बात नहीं तुम करो‌ काम में कर लूंगा थोड़ा आराम, यह पढ़ते ही उसने जवाब दिया कि ना होना नाराज़ समझ सकते हो तुम काम "हम मिलेंगे अब चार दिन बाद" यह सुन‌ में हुआ थोड़ा निराश लेकिन अब क्या करें यार ।।
आज कि शाम तो जैसे तैसे बित गई मानो चिड़िया दाना चुग गई , वो थी मेरी मंगेतर ~अंजलि" जिसे में प्यार से कहता था छिपकली ,‌सच कहूं तो बहुत खुबसूरत थी मेरी कली।।
अब रात हो‌ चूकी थी और आधी दुनिया सो चुकी थी, तभी उनका आया फोन मानों सारे उड़ गए दुःखी मोर ।
अब तीन दिन और उनकी याद में गुजारना था , ओर साथ में रफी दा का संगीत सुहाना था।।
जैसे तैसे यह दिन भी बीत गया , मेरे इंतजार का कांटा थोड़ा घट गया। लेकिन आज उनका पैगाम आया ना फ़ोन।।
दिन था तीसरा , उनसे मिलने कि ख़ुशी में चेहरा और चमक खा रहा था मानो धीरे धीरे कोई पास आ रहा था।।
एक मित्र ने पूछा कि क्या दोगे उसे भेट जब वो आएगी तुमसे करने भेंट । यह सुनकर मैंने भी जरा सोचा फिर मैंने उन्हीं से पूछा कि क्या लाए आपके लिए, तो वो बोली जो करें मन‌ आपका , लेकिन हम २० को भी नहीं मिल पाएंगे क्योंकि हम जरा बाहर आएं हैं।।
यह सुनकर में सन्न रह गया जैसे गले से निकला शब्द मेरे मुंह में रह गया।।
उस दिन‌ ना भुख लगी ना‌ प्यास क्योंकि शायद हमें उनसे था बेहद प्यार, फिर भी ज़हर का घूंट पी कर हम सो गए, उनकी तस्वीर देख ज़रा सा रो गये।।
उनसे मिलने कि बेताबी ने मुझे थोड़ा बावरा कर दिया था, लेकिन शांत मन से में काम पर गया और मेज़ से उनकी तस्वीर निकाल रोने लगा। थी वो मेरे बचपन का प्यार जिसपर लुटाने को तैयार हूं में सारा संसार।।
आखिर जैसे तैसे सब दिन बीत गए मैंने भी मुलाकात कि उम्मीद छोड़ दी, यह सोच शायद उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं में अशांत मन‌ से शांति से बैठ गया।।
तारीख वो‌ निकल चुकी थी और मैं दुख में डुब चुका था, ओर भारी मन‌ से सब भुला में काम पर गया।।
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पहुंचा दफ्तर तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, जब अपने प्रेम को सामने पाया , लेकिन मन‌ में बहुत से सवाल थे ना जाने कैसे कैसे ख्याल थे ।।
लेकिन सवाल मेरे पीछे छूट गए जब दौड़ के उसने मुझे अपने गले लगाया, ओर पुरी शाम उन्होंने मेरी बाहों में बिताया, कहा कि माफ़ कर दो मेरे आका मैंने आपको है बहुत तड़पाया।।
यह थी मेरी एक शाम कि माया, जिसके लिए मैंने बहुत कुछ गंवाया।।

© ~pandeyji3095