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बस इतना सा साथ 63
शाम का वक़्त है, मनीष के घर में काफी शोर हो रहा है। मनीष की नींद टूट जाती है , और आँखें मलते हुए उबासी लेते हुए कहता है।
मनीष - मम्मी भी किटी पार्टी करने लग गई
क्या ?
( और तकिए के नीचे से मोबाइल को निकालने के लिए हाथ डालता है। मोबाइल नहीं मिलता वहाँ उसे , पल भर में सारी नींद गायब हो जाती है। )
फोन कहाँ गया , तकिए के नीचे ही तो रख
कर सोया था । मम्मी तो नहीं ले गई।
( कहता हुआ हडबडी में दरवाजे के तरफ बढ़ता है, कि उसका पैर टेबल के कौने से टकराता है। )
आह, लग गई ( कहते हुए घुटने को मलने के लिए झुकता है, कि सामने टेबल पर उसे फोन रखा दिखता है। )
फोन ( कह उठाता है ) मैंने यहाँ रखा था ,
नहीं मुझे अच्छे से याद है तकिए के नीचे
रखा था । फिर ये यहाँ कैसे आया । कहीं
नेहा ने फोन तो नहीं किया हो और मम्मी ने
उठा लिया हो । ( फिर लॉक खोल कर देखता है। तीन - चार मिस कॉल होती हैं वो भी नेहा की नहीं , पर कोई रिसीव कॉल नहीं थी । )
नेहा का ये तो सही है , कि वो बताए बिना
कॉल नहीं करती । ( फिर जाल से नीचे देखता है। ) लगता है आशा आंटी आई हुई हैं।
( दो कदम बढ़ाता है, नीचे जाने लिए। फिर रुक जाता है और सोचता है। ) एक बार देखता हूँ
क्या पता नेहा जी थोड़ी-सी फ्री हों, उनसे
बात हो सके फिर तो वो घर चली जाएंगी
और नाइट में तो वैसे ही नहीं बात करती ।
( और नेहा को मैसेज करता है । )
हाय ।
( नेहा बच्चों का टेस्ट ले रही होती है ,बच्चों के बीच में घूम रही होती है कि कहीं बच्चों के बीच में कोई चीटिंग तो नहीं कर रहा। तभी उसके फोन की नोटिफिकेशन बजती है । नेहा मुस्कुराती है और मन में सोचती है )
नेहा- जाग गए होंगे मैनेजर साहब । (और जाकर फोन देखती है । मनीष का मैसेज होता है , उसके चेहरे की मुस्कुराहट और खिल जाती है और मन में कहती है।) इतना तो मैं समझने लग
गई हूँ मुझे बेवक्त जो फोन करें या मैसेज
करें वो आप ही हो । ( और मैसेज पढ़कर मैसेज का रिप्लाई करती है।)
हेलो ।
गुड मॉर्निंग ।
मनीष-( मैसेज पढ़ता है,और खुद से कहता है। ) गुड मॉर्निंग , शाम के टाइम यहाँ गुड नाइट
होने वाली है इस टाइम गुड मॉर्निंग कौन
करता है।(और फिर रिप्लाई करता है। )
मैडम जी यह गुड मॉर्निंग नहीं गुड इवनिंग
का वक्त है थोड़े वक्त में तो नाइट शुरू हो
जाएगी ।
नेहा- मुझे पता है , पर आपके लिए तो गुड
मॉर्निंग ही है । अभी ही उठे होगे आप तो । मनीष - क्या बात है , आप दूर से ही इतना सब
कुछ कैसे जान जाती हो। कोई जासूस
छोड़ रखा है क्या मेरे पीछे।
नेहा - इसमें कौन-सी सी बड़ी बात है । इतने
दिन हो गए आपसे बात करते थे अब
इतना तो पता है आपकी शिफ़्ट कौन-सी
होती है ।
तो आप किस टाइम सोते हो इस का
अंदाजा हो जाता है
और सबसे बड़ी बात अगर आप जाग रहे
होगे और आप मुझे मैसेज ना करो मुझे
कॉल ना करो ऐसा हो नहीं सकता ।
मनीष - बात में पॉइंट है ।
फ्री हो तो कॉल करूँ ।
नेहा- फ्री तो हूँ पर कॉल मत कीजिएगा । मनीष- क्यों ?
नेहा- बच्चे एग्जाम दे रहे हैं ।
डिस्टर्ब हो जाएंगे ।
मनीष- अच्छा जी और जो मैं पूरे दिन डिस्टर्ब
रहता हूं आपकी आवाज सुने बिना ।
नेहा- डिस्टर्ब ?
6:00 बजे तक सो रहे हो और आप डिस्टर्ब
रहते हो पूरे दिन ।
मनीष- जब जगा हुआ होता हूँ, तब तो डिस्टर्ब
रहता हूँ ।
नेहा-तो कोई नहीं ।
अगली बार जब कभी कॉल करूंगी तो
आप मेरी आवाज रिकॉर्ड करके रख लेना
और फिर जब डिस्टर्ब हो तब आप उसको
सुन लेना ।
मनीष - हँसना था ,
सॉरी मुझे बिल्कुल भी हँसी नहीं आई ।
नेहा- अरे नहीं हँसना नहीं था।
मैं सीरियसली ही कह रही हूँ ।
मनीष - तो ठीक है आप अपनी सीरियसनैस
अपने पास ही रखें ।
नेहा - अच्छा बाबा तो गुस्सा क्यों होते हो , वो
भी इतनी सी बात पर । ठीक है नहीं पसंद
आया आईडिया तो इग्नोर करो आईडिया ।
मनीष- इग्नोरड ।
नेहा - क्या मैं या मेरा आईडिया ।
मनीष- 😡 ।
नेहा- इतना गुस्सा ।
मनीष- चलो आप ले लो अपने आराम से टेस्ट।
मैं जा रहा हूँ नीचे ।
नेहा- इस तरह से लाल चेहरा ले कर जाओगे ,
अंकल जी और आंटी जी ने ( तभी नेहा को मनीष की मम्मी की बात याद आती है , बेटा मम्मी जी बोलने की आदत डाल ले । और सोचती है अभी से ही शुरुआत करते हैं बोलने की तो पता नहीं कब तक आदत बनेगी, लिख तो सकती ही हूँ । और अंकल जी और आंटी जी की जगह पापा जी और मम्मी जी लिखती है । )
पापा जी और मम्मी जी दोनों ने सवाल
कर करके आपको परेशान कर देना है।
मनीष- क्या कहा पापा जी मम्मी जी ।
नेहा- हाँ तो , आपके पापा जी मम्मी जी मेरे भी
तो पापा जी मम्मी जी बनने वाले हैं ।
मनीष- बनने वाले हैं नहीं,बन गए हैं। मुझसे
ज्यादा तो अब, नेहा-नेहा करते रहते हैं ।
मैं कितने दिन से सोच रहा था कब आप
पापा जी मम्मी जी को अंकल आंटी की
जगह पापा जी मम्मी जी बुलाओगे ।
मैं कॉल कर रहा हूँ मुझे सुनना है ।
नेहा- ओ हेलो वेट ।
क्या कॉल कर रहा हूँ। मैं क्लास में हूँ,
बच्चे टेस्ट दे रहे हैं । मैं इनके सामने मम्मी
जी पापा जी नहीं बोल सकती हूँ।
मनीष - यह सही है । एक पल को खुशी देते हो
और अगले पल ही मायूस कर देते हो ।
नेहा - अब इसमें मायूसी कैसी ? जिंदगी भर तो
पापा जी मम्मी जी ही बुलाना है , सुनते
रहना आप ।
मनीष - पहली बार वाला आप नहीं समझोगे ।
नेहा- और मेरे बच्चों के टेस्ट की इंपॉर्टेंस आप
नहीं समझोगे ।
मनीष- मेरे बच्चों ?
ये कब हुए?
हमें तो बताया नहीं आपने ।
नेहा - अच्छा नहीं बताया , चलो अभी बता
दिया।
मेरे बच्चे और एक नहीं ढेर सारे ।
मनीष - मम्मी को बताता हूँ।
नेहा- हाँ जी , इतना ही काफी है या ये भी बताऊँ
कि कितने लड़के , कितनी लड़की हैं। या
उनकी कितनी उम्र है। कितने छोटे,
कितने बड़े हैं ।
मनीष - बस करो इतनी भी मजे मत लो ।
नेहा- अच्छा मजे लेना क्या सिर्फ आपको ही
आता है ।
मनीष- नहीं ,आपको मुझसे भी अच्छा आता
है ।
नेहा - ओके बाद में बात करती हूँ। टेस्ट खत्म
होने का टाइम हो रहा है।
बाय ।
मनीष - मैं भी नीचे जाता हूँ काफी देर हो गई है।
बाय।
( और इतना कह मनीष फोन ऊपर ही छोड़ नीचे की तरफ चला जाता है और नेहा बच्चों से कहती है ।)
नेहा- जल्दी करो बच्चों आखरी पाँच मिनट हैं
आपके पास ।
( मनीष नीचे जाता है तो नीचे मनीष की मम्मी ने और आशा आंटी ने नेहा के लिए लाए गए कपड़ों की, मेकअप के सामान वगैरह का ढेर बना रखा है । )
मनीष - (आशा आंटी के पैर छूते हुए। ) नमस्ते
आंटी जी ।
आशा आंटी - उठ गया तू । मैं कितनी देर से तेरा
इंतजार कर रही थी ।
मनीष- मेरा इंतजार ?
शॉपिंग तो आप लड़की की कर के लाए
हो ।
आशा आंटी - अच्छा शैतान और लड़की
किसकी है ।
मनीष- अपने मम्मी पापा की ।
मनीष की मम्मी- रहने दो ऐसे बातों का कोई
फायदा नहीं है । बातों में तो ये किसी को
ना जीतने दे ।
मनीष- वो भी ऐसा ही कहती है ।
आशा आंटी-कौन ?
मनीष - आप आंटी जी और कौन ।
आशा आंटी - देख लो दीदी ( मनीष की मम्मी से ) हमें बेवक़ूफ़ समझता है। शादी के लड्डू हमने
भी खाए हैं, बस फर्क़ इतना है हमारे वक़्त ये
तुम्हारे टुनटुने ( फोन को दिखाते हुए। ) नहीं
थे ।
मनीष की मम्मी - ( मनीष से ) और तूने फोन में
क्या कर रखा है।
मनीष - क्या कर रखा है।
मनीष की मम्मी - कैसा पासवर्ड लगा रखा है ,
तेरी एक भी उँगली से ना खुला ।
(मनीष याद करता है कि उसने घुमा के तिरछी लगाई थी । )
मनीष - नहीं तो इसी से खुलता है।
आशा आंटी - पसीना वगैरह होगा हाथ में
इसलिए नहीं खुला होगा ।
मनीष की मम्मी - क्या पता , क्या था क्या थी ।
मुझ को तो आजकल कुछ नहीं बताता
ये।
मनीष - देख लो , आंटी जी आजकल हर बात
पर यही होता है ।
आशा आंटी - क्या दीदी , अब इसमे इसकी क्या
गलती ।
( मनीष याद करता है कि फोन खुलते ही अब नेहा की फोटो आती है, इसलिए पासवर्ड लगाया है। )
आशा आंटी- ( मनीष से ) कहाँ खो गया , फोन
कहाँ है ।
मनीष - फोन , फोन तो ऊपर ही है । क्या हुआ
कुछ काम था ।
मनीष की मम्मी - तू सुन भी रहा था ।
मनीष - हाँ , सुन रहा था । बोलो क्या हुआ ।
मनीष की मम्मी - मुझे नेहा से बात करनी थी ।
इसलिए तेरा फोन लिया था ।
मनीष - अभी तो वो वैसे भी नहीं उठाएगी ।
( मनीष की मम्मी और आशा आंटी हल्का मुस्कराते हुए उसे देखते हैं। )
अरे ऐसा क्या देख रहे हो । मम्मी को भी
पता है उसकी आठ बजे तक क्लास
होती है।
आशा आंटी - वो तो मुझे भी पता है । पर शायद
तुझे कुछ ज्यादा पता है । क्यूँ दीदी ।
मनीष की मम्मी - कुछ नहीं , बहुत ज्यादा ।
मनीष - क्या आंटी आप भी मम्मी की तरफ हो
गए।
आशा आंटी - मैं तो भई, अपनी बहु की तरफ
हूँ। देख सगाई के कपड़े लाए हैं हम
उसके ।
( और कपड़े वगैरह दिखाने लगती हैं। )
मनीष की मम्मी - अच्छा लगेगा ना , नेहा पर ।
मनीष - आप ने भी तो देखा है , मुझे क्या पूछ रहे
हो।
आशा आंटी - पर तेरी नजरों से नहीं देखा ।
मनीष - मीनू और तन्मय की सारी कमी पूरी कर
रहे हो आप । मुझे नहीं देखना , आप
लोग ही देखो ।
( कहते हुए चला जाता है। )
आशा आंटी - अरे सुन तो । ( मनीष की मम्मी )
ये कब से शर्माने लगा ।
मनीष की मम्मी- देख लो आप ।
( मनीष खिड़की से लहंगा देखता है, और खुद से कहता है। )
मनीष - खूब जचेगा।
( और मुस्कराता हुआ अपने कमरे में चला जाता है। )


© nehaa