भूमिका की कहानी 3
भूमिका की शादी हुई तो वो 25 साल की थी।
मनपसंद लड़के से शादी हुई
वो दोनों एक दूसरे को शादी से पहले ही जानते थे और एक दूसरे से प्यार करते थे।
भूमिका डॉक्टर की पढ़ाई के लिए बैंगलोर में रहती थी
दोनों की फोन पर बात होती थी
और भूमिका के पति शादी से पहले उससे मिलने बैंगलोर 1या 2 बार गये थे
इनकी मुलाकात facebook में हुई थी फिर धीरे धीरे वो दोनों एक दूसरे के करीब आ गये
दोनों एक ही समाज जाति के थे तो शादी में भी दिक्कत नहीं आयी
माँ को थोड़ा ऐतराज था लेकिन बेटी खुशी के लिए भी उन्होंने हामी भर दी
जब माँ की स्वास्थ्य बिगड़ी तो भूमिका बैंगलोर से वापस रायगढ़ आयी
और उनका देखभाल करने लगी
हॉस्पिटल में माँ जब अंतिम सांस ले रही थी तो उन्होंने बेटी के हाथ मे उस लड़के का हाथ दिया जिससे भूमिका प्यार करती थी।
वो भी वहाँ मौजूद थे
फिर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया
ये पल भूमिका के लिए दिल में तेजाब डालने जैसा था
वो खुद को संभाल न सकी और अचेत होकर वही माँ के पास बैठ गयी
माँ के अन्तिम संस्कार के बाद
जब स्थिति थोड़ी सामान्य हुई तो
पिता को भूमिका अकेलापन देखा नहीं गया
और उन्होंने शादी के लिए भूमिका...
मनपसंद लड़के से शादी हुई
वो दोनों एक दूसरे को शादी से पहले ही जानते थे और एक दूसरे से प्यार करते थे।
भूमिका डॉक्टर की पढ़ाई के लिए बैंगलोर में रहती थी
दोनों की फोन पर बात होती थी
और भूमिका के पति शादी से पहले उससे मिलने बैंगलोर 1या 2 बार गये थे
इनकी मुलाकात facebook में हुई थी फिर धीरे धीरे वो दोनों एक दूसरे के करीब आ गये
दोनों एक ही समाज जाति के थे तो शादी में भी दिक्कत नहीं आयी
माँ को थोड़ा ऐतराज था लेकिन बेटी खुशी के लिए भी उन्होंने हामी भर दी
जब माँ की स्वास्थ्य बिगड़ी तो भूमिका बैंगलोर से वापस रायगढ़ आयी
और उनका देखभाल करने लगी
हॉस्पिटल में माँ जब अंतिम सांस ले रही थी तो उन्होंने बेटी के हाथ मे उस लड़के का हाथ दिया जिससे भूमिका प्यार करती थी।
वो भी वहाँ मौजूद थे
फिर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया
ये पल भूमिका के लिए दिल में तेजाब डालने जैसा था
वो खुद को संभाल न सकी और अचेत होकर वही माँ के पास बैठ गयी
माँ के अन्तिम संस्कार के बाद
जब स्थिति थोड़ी सामान्य हुई तो
पिता को भूमिका अकेलापन देखा नहीं गया
और उन्होंने शादी के लिए भूमिका...