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प्रेममग्न
अपनी यौवन की वसंत में
कमरे के कोने में पड़े मैनिप्लांट के पत्ते भी
गुलाब से खिल उठते हैं,

मगर तुम्हें बांध लिया गया है
उदासी भरे इक कमरे में
और गुलाब कैद है अलमारी में पड़े
किताबों के दो पन्नों के बीच कराहते हुए,
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