फितरत
इरादे नेक हो फिर भी इंसान गलत हो जाता है
क्या पता था इश्क वालों को भी इश्क हो जाता है।
जान कर भी अनजान बन जाते है लोग यहां
जिस्म तो होता है साथ पर जिनका दिल न रह पाता है।
मुख्तसर सी जिंदगी में अपना कुछ नही यहां
फिर इंसान इतना क्यों नासमझ बन जाता है।
कभी समझा ही नही प्यार का मतलब कोई
हर नए दिन यहां मेहबूब बदल जाता है।
हाथ फिर खून से हाथ भर जाती नाम लिख कर कुछ लोगों की
और उम्र भर दिल यहां खाली रह जाता है।
जिसे भी देखिए दब गए है लोग बोझ तले
जरूरत पूरी करना ही क्या प्यार रह जाता है।
इतना भी क्या डरना किसी की बेवफाई से
किसी के जाने से प्यार न सही सुकून कभी मिल जाता है।
कोई भुला ना पाता है किसी को एक भी
किसी का नियत आजमाना ही फितरत बन जाता है।
© Danish ppt
क्या पता था इश्क वालों को भी इश्क हो जाता है।
जान कर भी अनजान बन जाते है लोग यहां
जिस्म तो होता है साथ पर जिनका दिल न रह पाता है।
मुख्तसर सी जिंदगी में अपना कुछ नही यहां
फिर इंसान इतना क्यों नासमझ बन जाता है।
कभी समझा ही नही प्यार का मतलब कोई
हर नए दिन यहां मेहबूब बदल जाता है।
हाथ फिर खून से हाथ भर जाती नाम लिख कर कुछ लोगों की
और उम्र भर दिल यहां खाली रह जाता है।
जिसे भी देखिए दब गए है लोग बोझ तले
जरूरत पूरी करना ही क्या प्यार रह जाता है।
इतना भी क्या डरना किसी की बेवफाई से
किसी के जाने से प्यार न सही सुकून कभी मिल जाता है।
कोई भुला ना पाता है किसी को एक भी
किसी का नियत आजमाना ही फितरत बन जाता है।
© Danish ppt
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