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wrong number
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तोतो ऐसे ही किसी का फोन आया था | पर उस रॉन्ग ना. ने उसकी ज़िंदगी बदल दी|

18 दिसंबर की बात थी रात का समय था तभी टेबल पर रखा फोन बजने लगा जीत ने फोन उठाने में थोड़ा आलस दिखाया पर जब फोन बार बार बजता रहा तो वो मजबूर हो गया और उसने फोन उठा लिया| दूसरी तरफ़ से एक लड़की की आवाज़ आई| हैलो कौन है? जी मैं जीत हूँ, सोर्री लगता है गलती से गलत ना. लग लगाया सोर्री| यह बोल कर उसने फोन रख दिया | जीत उसकी आवाज़ सुनकर दंग रह गया सोचने लगा इतनी प्यारी आवाज़ है तो चेहरा कितना प्यारा होगा| वो यह सोच ही रहा था की फिर से फोन बजने लगा उसने फोन उठा कर हैलो कहा की दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई अरे फिर से आपके पास ही फोन लग गया माफ कीजिये मैं अपनी दोस्त को फोन करना चाहती हूँ पर उसका ना. भूल गई सोर्री, और फोन कट गया| कई बार ऐसे ही उसे लड़की का फोन रोज़ आने लगता जिससे उन दोनों के बीच बातें बढ़ गई और वो दोनों एक दूसरे से रोज़ बातें करने लगे | धीरे धीरे जीत को उसे लड़की से बात करने की आदत हो गई| एक दिन जीत उस लड़की के फोन का इंतज़ार कर करके तंग हो गया| उसने बहुत इंतज़ार करा पर फोन नहीं आया दिन बीत गए ,हफ्ते बीत गए, महीने बीत गए, दो साल बीत गए पर उसका फोन नहीं आया जब भी कोई फोन आता वो कहता कितना इंतज़ार कराया तुमने मुझे इतना वक़्त कैसे लग गया तुम्हे फोन करने में पर दूसरी तरफ़ से कोई और ही बोलता | वो उस फोन के इंतज़ार में बहुत बीमार हो गया| बहुत साल लगे उसे ठीक होने में और जब वो ठीक हुआ तो उस लड़की को भूल गया और उसने शादी कर ली अच्छी ज़िंदगी चल रही थी पर तभी एक दिन, बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी बाहर बिजली कड़कडा रही थी और घर के अंदर लिगहत् नहीं थी |तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को पहले की सब बातें याद आने लगी और उसने गुस्से में फोन को दीवार पर दे मारा और फोन टूट गया| जैसे उस फोन के टुकड़े हो गए थे वैसे ही जीत के दिल जी टुकड़े हो चुके थे उस फोन ने जीत की ज़िंदगी बदल दी
© alone