...

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ये कैसा रिश्ता है
उस दिन कक्षा में पढ़ने का मन नहीं था,
मन हजारों सवाल करते हैं मैं पेन को काग़ज़ पे बेवजह अपना नाम लिख रही और मिटा रही थी इसी सोच में घंटी की आवाज आई, बस अब हम बाहर आ गए
अपनी फेवरेट चाॅकलेट को खाते खाते
पापा ने कहा जल्द से गाड़ी में बैठो एक सरप्राइज़ तुम्हारे लिए.....
बस हम चाकलेट खाते बैठे गये और साथ में हमारा प्यारा सा मोती था, जो कि मालिक के लिए वफ़ादार भी,
हमने सफ़र के लिए कार में गाना चला दिया बहुत तेज़ आवाज़ में, पापा ने बहुत ठोका कि इतनी तेज़ आवाज़ में गाने सुनना
काफी ख़तरनाक होता है वो भी सुनसान सफ़र में , थोड़ा कम करों आवाज को, मुझे
गुस्सा आया फिर मैंने गाना बंद कर दिया
ख़ुद ही गाने लगी,अब पापा कुछ नहीं कहा
पर मुस्कान आ गई चेहरे पे, क्यों कि मां को
गुजरने के बाद, पापा भी अकेले हों गये और हम मां की छोटी छोटी बातों को रोज़
याद करके, मां की जगह कोई और आ भी नहीं आ सकता है बस वो आखिरी लम्हे को याद कर हम जी रहे हैं न जाने कब तक ताजा रहेगी वो प्यार, शायद जब तक मेरा
हमसफ़र न आएं जिंदगी में,
तभी पापा ने कार रोक दी अचानक झटके से,लो आ गया हमारा फार्म हाऊस,
मैंने पूछा था यहां क्या सरप्राइज़ है हमारे लिए , तभी एक कार आकर रूकी थी और
एक औरत एक बच्चा गाड़ी से बाहर आए
मैं कुछ कुछ समझ चुकी थी पर, मैं पापा से सुनना चाहती थी, फिर वही होना था जो
अक्सर होता है मैं इन्हें पसंद करता हूं यह आपकी नई मां होगी, मेरे कानों से मेरी मरी
मां की तस्वीर आने लगी थी, अचानक मैं ज़ोर ज़ोर से भागने लगी थी एक घने जंगल की और ,,,