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भारत में मदर्स डे क्यों..?
ये पश्चिमी सभ्यता की ही तो हवा हैं सिर्फ एक दिन ही याद आती हैं सबको क्यों हां वो मां हैं..!
बाकी दिनों में क्या हम करते रहें हैं कोई गुनाह हैं मां तो सब दिन हैं मां तो जन्नत हैं जहां हैं..!!

मां हैं तो हम हैं...

मदर्स डे... क्यों मनाया जाता हैं ये प्रश्न क्यों भारत जैसे देश की संस्कृति पर हावी हो रहा हैं क्या मां या उनकी संताने एक दूसरे को भूल रही हैं जो पश्चिमी देश में होता हैं ये उन लोगों के लिए भारत में लागू हैं जो भारतीय संस्कृति को भूल कर आधुनिकता की दौड़ में सब भूल रहें हैं शायद एक दिन ऐसा भी होगा जब सारे रिश्ते नातो के नाम पर भारत जैसे देश में डे मनाए जाएंगे लेकिन हम फिर भी पारिवारिक नहीं हो सकेंगे तो ऐसे डे मनाने का क्या औचित्य हैं जहा सिर्फ एक दिन अपनों को याद किया जाए और बाकी दिन अपने पन और अपने लिए जिया जाए.. लानत हैं ऐसे आधुनिक डे को मानाने वालों पर जो सोशल मिडिया पर अपने आपको संस्कारिक बता कर ढोंग रचते हैं..


© दीपक बुंदेला आर्यमौलिक