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अधूरी मोहब्बत के साए में
आर्यन एक सुलझा हुआ, समझदार इंसान था। उसने अपनी ज़िंदगी को बड़े ही शांत और व्यवस्थित तरीके से जीना सीखा था। उसकी बातों में गहराई और चेहरे पर हमेशा एक सुकून भरी मुस्कान रहती। दूसरी तरफ, श्रेया भावनाओं से भरी, एक संवेदनशील लड़की थी। उसकी हर बात में एक मासूमियत थी, जो किसी का भी दिल जीत सकती थी।

उनकी पहली मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई। दोनों एक ऑनलाइन बुक क्लब का हिस्सा थे। श्रेया ने एक बार आर्यन की लिखी हुई कविता पर टिप्पणी की थी।
“आपकी कविता ने मेरे दिल को छू लिया। इतनी सादगी और गहराई एक साथ मैंने पहले कभी नहीं देखी।”

आर्यन ने जवाब दिया, “शब्द तो बस हमारे दिल के आईने होते हैं। अगर आपको ये गहराई महसूस हुई, तो शायद आप भी वैसी ही हैं।”

उसके बाद उनकी बातें बढ़ने लगीं। हर दिन एक नया संवाद होता। किताबों से शुरू होकर उनकी बातचीत जीवन की गहराइयों तक पहुँच गई। दोनों अलग-अलग शहरों में रहते थे—आर्यन मुंबई में और श्रेया जयपुर में। लेकिन उनकी भावनाएँ और सोच की दुनिया एक जैसी थी।

आर्यन की शांति और समझदारी श्रेया को सुकून देती थी। वह अपनी हर बात, अपनी हर खुशी और ग़म उससे साझा करने लगी।
एक रात श्रेया ने कहा, “आर्यन, क्या तुम्हें लगता है कि हम कभी मिल...