...

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" ग़ज़ल हो तुम "
दिल ए झील में खिला कंवल हो तुम.
जिंदगी का खुशियों भरा पल हो तुम.

सर से लेकर पांव तलक मुकम्मल,
ग़ालिब की लिखी हुई ग़ज़ल हो तुम.

जो देखे, देखता ही रह जाए तुम्हे,
जीता जागता सा ताजमहल हो तुम.

दिल ए आसमां पे तुम्हारा कब्ज़ा,
खूबसूरत, तारों का, आंचल हो तुम.

बदन का हर एक अंग तराशा हुआ,
रब की कोशिश का, अमल हो तुम.

तुम्हें समझाना, समझना आसान,
इतनी, सीधी, इतनी, सरल हो तुम.
_______🌹🌸🍫💐_______

उफ्फ, ऐसी सादगी देखी नहीं,
गुलाबो सी, ताज़गी देखी नहीं.

जुगनू बहुत गुजरे नज़र से पर,
ऐसी उजली चांदनी देखी नहीं.

आंखें देख कर ही लड़खड़ाए,
हाय ऐसी मयकशी देखी नहीं.

चेहरा चांद सा ही दमकता है,
कही, ऐसी रोशनी देखी नहीं.

सबके लिए दिल में दर्द भरा,
सीरत, ऐसी हसीं, देखी नहीं.
_____🌹🌸🍫💐____

उफ्फ, हाय !! क्या खूब, तस्वीर है,
गोया के किसी रईस की तकदीर है.

जो भी देखे सीधा डूब ही जाए,
आंखें है झील सी, जुल्फे जंजीर है.

भुल से भी मासूम न समझना,
हंसते लब, कत्ल करने मे माहीर है.

इस सादगी के हाय क्या कहने,
आय हाय ! अदाए तेज़ शमशीर है.
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© एहसास ए मानसी