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दो दिलों का प्यार ( भाग - 11 )
अंजलि और प्रेम में थोड़ी - थोड़ी अब दोस्ती होने लगी थी, तो यही दोस्ती अदिति का जीना दुश्वार कर रही थी। वो नही चाहती कि वे दोनों एक साथ रहे। इसलिए कुछ न कुछ करके अदिति अंजलि के काम में बांधा डाल देती थी। काम करते - करते अंजलि को समय का पता ही नही चला,रात के 7:00 बजे वो ऑफिस से काम कर बाहर निकलती है। प्रेम उसे जाता देख उससे बोलता है, में घर छोड़ दूं , आज मेरा भी ऑफिस में काम नही है, इसलिए में भी घर जा रहा हूं, अंजली थोड़ी हिचकिचाती है, लेकिन वो साथ जाने के लिए राज़ी हो जाती है। असल मे प्रेम खुद अपना काम छोड़ उसे घर छोड़ता है, क्योंकि वो अंजली से बात करना चाहता था, प्रेम कहिं न कहीं अंजली को चाहने लगा था, वो बस बहाना ढूंढता और अंजलि के साथ हो जाता। दोनों कार में बैठ जाते है, प्रेम उससे बात करने की कोशिश कर रहा था, पर वो कुछ कह नही पा रहा था, ऐसा पहली बार प्रेम के साथ हुआ है, कि वो खुद इतनी बड़ी कंपनी का CEO होने के बावजूद वो अंजलि से बात करने के लिए हिचकिचा रहा था, अंजलि भी प्रेम को उसी नज़र से देखी जा रही थी। एक जगह अंजलि प्रेम को रुकने के लिए बोलती है, सर रुकिए, वहाँ पर मेला लगा हुआ है, मुझे वहा जाना है, और वैसे भी अब मेरा घर पास में ही है तो में चली जाउँगी, प्रेम बोलता है, कोई बात नही, में भी तुम्हारे साथ चलता हूँ। अंजली का बर्ताव उस मेला को देख एक दम बच्चे की तरह शरारत हो गयी थी, वो एक पल के लिए भूल गई कि उसके साथ प्रेम सर है न कि उनके दोस्त, अंजलि को हर चीज़े बहुत प्यारी लग रही थी। प्रेम उसकी प्यारी सी हरकते और मस्ती भरा देख उस पर फिदा हो गया। साथ के दौरान उन्होंने बहुत सारी बातें की, प्रेम भी उसमें घुलमिल गया था। प्रेम अब अंजलि को घर छोड़ देता है। अंजलि भी मन ही मन उसे चाहने लगी थी.....। अंजलि का बार - बार खयाल आना प्रेम सोच रहा था कहीं मुझे प्यार तो नही है ? क्या वो भी मुझ से प्यार करती है ? कहीं उसने मना कर दिया तो ? ये प्यार से भरे सवाल अब तो प्रेम न सोच ही लिया चाहे कुछ भी हो में उसे अपनी दिल की बात बता दूँगा। उसे ध्यान आता है कि अगले हफ्ते अंजलि का जन्मदिन है और इससे अच्छा मौका मेरे लिए नही होगा। तो वही दूसरी और एक राज ऐसा भी है जो सिर्फ अंजलि के मम्मी पापा को पता था, पर अंजलि को नही...