एक दोस्त अपना सा...❤️
एक शादी_शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है_
उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है,
तो वो जानती है की
न तो वो उसकी हो सकती है!
और न ही वो उसका हो सकता है!
वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती..
फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है....
तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती?
क्या वो अपने सीमा की...
उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है,
तो वो जानती है की
न तो वो उसकी हो सकती है!
और न ही वो उसका हो सकता है!
वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती..
फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है....
तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती?
क्या वो अपने सीमा की...