मेरी असफलता की कहानी
हुगली नदी के किनारे बसा कोलकाता शहर ( जॉय ऑफ़ सिटी ) की रहने वाली सोनू के असफ़लता की कहानी है.
सोनू एक माध्यम वर्गीय परिवार से थी, घर में पिताजी थे जो रेलवे कर्मचारी थे, माता जी घर की गृहणी थी,
लेकिन कहते है ना हर माता पिता के आँखों में बच्चों के लिए कुछ सपनें सजो कर रखते है तो मेरे पिता जी का भी था की मेरी बेटी पढ़ लिख कर नाम रौशन करे, लेकिन सोनू को उस कम उम्र में इतनी समझ कहा थी, वो अपने धुन में रहती, पिताजी ने शहर के नामी विद्यालय में दाखिला तो करा दीया पर अपने कमाई से पापा हर रोज पेंट काट कर हमारे स्कूल की फीस टूशन फीस भरते और हम इन सब से अंजान बैठें बचपना में ही जीते रहते.
बचपन से ही सोनू पढ़ने का सौख नहीं था, क्योंकि उसने पढ़ाई के महत्व को जाना ही नहीं था, बस खेलना सहेलियों के साथ आता था. जब पढ़ने की बारी आती तो शाम को थक कर सो जाती थी.
वाक्या तो तब हुआ जब...
सोनू एक माध्यम वर्गीय परिवार से थी, घर में पिताजी थे जो रेलवे कर्मचारी थे, माता जी घर की गृहणी थी,
लेकिन कहते है ना हर माता पिता के आँखों में बच्चों के लिए कुछ सपनें सजो कर रखते है तो मेरे पिता जी का भी था की मेरी बेटी पढ़ लिख कर नाम रौशन करे, लेकिन सोनू को उस कम उम्र में इतनी समझ कहा थी, वो अपने धुन में रहती, पिताजी ने शहर के नामी विद्यालय में दाखिला तो करा दीया पर अपने कमाई से पापा हर रोज पेंट काट कर हमारे स्कूल की फीस टूशन फीस भरते और हम इन सब से अंजान बैठें बचपना में ही जीते रहते.
बचपन से ही सोनू पढ़ने का सौख नहीं था, क्योंकि उसने पढ़ाई के महत्व को जाना ही नहीं था, बस खेलना सहेलियों के साथ आता था. जब पढ़ने की बारी आती तो शाम को थक कर सो जाती थी.
वाक्या तो तब हुआ जब...