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फुर्सत
आज गली के चोराहे पर मुझे वो मिला। फुर्सत लिए, वो फुर्सत लिए जो मैंने उससे अपने एहसास कहने के लिए,अपने रिश्ते के लिए मांगी थी।। पर अफ़सोस इस बात का है कि आज हमारा रिश्ता ही नहीं रहा।
हमारी नज़रें मिली एक दूसरे से पर हम दोनों ने एक दूसरे को अनदेखा कर दिया। उस थोड़े से वक़्त में वो सुकून था जो वो मुझसे लेकर चला गया, ऐसा लग रहा था कि ये वक़्त यहीं रोक लू और उसे तब तक देखती रही हूँ जब तक ये आँखे थक न जाए। मन था कि रोक लू उसे और रो लू उसके गले लगकर।
फिर याद आया कि उस पर तो हमारा रिश्ता ही बोझ था, और मैं आँखों में आंसू लिए आगे निकल गयी। उस एक पल में मैंने वो बिते हुए पल फिर जी लिए, और फिर से वही आकर खड़ी हो गई, जहाँ से मैंने उसे भूलने की कोशिश की थी।।
मन में एक ही ख्याल घुम रहा है जब से कि क्या उसे भी यह महसूस हुआ होगा, या फिर मुझे देख कर उसे कुछ महसूस ही नहीं हुआ और कहीं एक बार फिर मैं वहम में तो नहीं पड़ गयी।।
🙃🙃
© vandana singh