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"काला हार" भाग-२
एक रात पल्लवी और किशन सों रहें थे कि पल्लवी के कमरे की खिड़की ज़ोर ज़ोर से खड़खड़ाने लगी, पल्लवी ने देखा बाहर बहुत तेज हवा चल रही है इसलिए शायद खिड़की खुलकर खड़खड़ा रहीं होगी सोचते हुए पल्लवी उठी और खिड़की की कुंडी लगाकर खिड़की बंद कर दी। उसे लेटें हुए कुछ समय ही हुआ था कि उसे पलंग के नीचे कुछ सुगबुगाहट सी महसूस हुई तो उसने उठ कर पलंग के नीचे देखा लेकिन वहां कुछ नहीं था, उसने किशन पर नज़र डाली जो बेसुध होकर सो रहा...