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एक असम्भव प्रेम गाथा में श्रृष्टि एक रोड़ा बन कर उभरती है।।
श्रृष्टि एक रोड़ा बन कर उभरती है इसका पता हम एक स्त्री और एक वैशया के मूल विषयो नजर डाल कर देखते हैं जो कि काई खंड में संकलित हैं -
1) स्त्री की आजादी।। २) स्त्री की स्थिति।।
३) बलिदान त्याग परिश्रम। ४) स्त्री की योनि ।परिवर्तन।५) स्त्री की भूमिका।।६)सतरीयोगदान।
°स्त्री की आजादी -यह हमेशा से ही एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त केन्द्र बना रहा है और इसीसे अन्य प्रश्न निकलकर आए हैं।। तो आइए जानते हैं कैसे उठा यह प्रश्न और हुआ श्रृष्टि का जन्म और फिर शुरू हुई एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।। जैसा कि आप सब जानते कि "एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त पूर्ण ना हो पाने का पहला विषय क्या कहा गया है "सत्री की आजादी "जिस तरह श्री हरि विष्णु के द्वारा गाथा के प्रारंभ में दिखलाया गया था कि "इस गाथा में क्या और क्यों जिससे गाथा का एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त पड़ गया था।।
कि क्या यह सच्चाई है कि वो दोनों गंभीर अवस्था में मिले थे और क्या वो वाकई में उसे वैशयलय के बाहर गंभीर रूप से बेसुध पड़ा पड़ा मिला था।।
और क्या उस कन्या ने सच्च में एक सेवाभाव से उसकी सेवा की थी? और फिर ऐसा क्या हो गया था कि दोनों के बीच संबंध बन गया था ऐसा भी कहते सुना गया था लेखक द्वारा और क्या सच्च में ऐसा कुछ हुआ होगा अगर हां तो एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त के अनुसार पाप का भागीदार कौन है वो लड़की जिसने एक वैशया महाअघोरी सधवी बनकर श्रृष्टि का त्याग कर एक संन्यासी और भृमचरय करके भी वो वसना माई होकर एक वक्त के बहकाने से वो कौन से दोष ग्रसित हुई है।।
इतने ही जो बलात्कार होते हो अबाध्य होकर केवल स्वार्थ पान कर एक असम्भव प्रेम गाथा के लिए एक नया पैगाम प्रेम कस्तूरी की योनि वीर्य से लबालब पहती एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त नाई नहर सी दौड़ जाती हैं।। या फिर वो यक्ति जो वचन कसम खा कर भी मुकर गया क्योंकि वो सिर्फ उसकी संभोग तपस्या साधना बल्कि यौनमाई साधना कर रहा था और बाद में उसका संबंध किसी अन्य के साथ पाया गया था।। तो कौन गलत है भृमचरय लड़की या यौन पुजारी।।
#सत्रीफडफाहट।।
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