पुनर्जन्म
आज की कहानी थोड़ी सी विचित्र है क्योंकि कुछ लोग इसमें मानते हैं और कुछ लोग नहीं। और यह किसी वास्तविक घटना पर निर्भर नहीं करती है।
यह स्टोरी पूरी तरीके से फिक्शन बेस्ड है और पुनर्जन्म पर आधारित है।
भाग -1 श्रद्धा जो दिल्ली शहर की रहने वाली है वह दिखने में काफी सुंदर है रंग गोरा बाल लंबे और
बला की खूबसूरत। मासूमियत उसके चेहरे में दिखाई देती है, और दिल से भी बहुत अच्छी है वह हमेशा सबका भला सोचती है।
वहीं दूसरी और निश्छल ,जैसा नाम वैसा काम कभी किसी के साथ गलत ना करने वाला ,दिखने में सुंदर , कद काठी से लगभग 6 फुट लंबा और हमेशा बड़ों की इज्जत करने वाला।
भाग -2
निश्चल की पहली मुलाकात श्रद्धा से दिल्ली के माधवगंज में हुई थी जिसे आज कनॉट प्लेस के नाम से जाना जाता है। जब निश्चल पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली आता है,तब एक बार घूमते घूमते वह माधवगंज की एक आलीशान हवेली को देखता है,उस हवेली की छत पर एक बहुत सुंदर लड़की दिखाई देती है,चेहरे पर एक हल्की सी चमक,प्यारी सी मुस्कान , जैसे ही निश्चल उस लड़की को देखता है ,बस कहीं खो जाता है,उसकी प्यारी सी मुस्कान निश्च्छल के मन में बस जाती है,
और निश्चल को पहली ही नजर में श्रद्धा से प्यार हो जाता है।
अब वो रोज श्रद्धा को देखने माधव गंज आया करता है ,और रोज उसे निहारता रहता है। इत्तेफाक से निश्छल भी उसके है महाविद्यालय में दाखिला ले लेता है ,ये बात लगभग 1980 की होती है,जब लड़कियो को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था, वहां पर सिर्फ खानदानी लोगो के लडको को ही पढ़ने की इजाजत होती थी, वैसे तो श्रद्धा भी एक ऊंचे खानदान से थी ,पर लड़की होने के कारण उसके दादा दादी ने उसके आगे पढ़ने पर रोक लगा दी थी,पर पिता की लाडली होने की वजह से उसे भी उच्चतम शिक्षा मिल गई, उसी महाविद्यालय में उसे निश्च्छल मिला,निश्च्छल पढ़ाई में काफी अच्छा था ,इस कारण श्रद्धा निश्चल से अक्सर अपनी पढ़ाई से संबंधित सारे प्रश्न पूछ लिया करती थी,और निश्चल भी उसे हर विषय में मदद कर दिया करता था।धीरे - धीरे वो दोनो अच्छे दोस्त बन गए ,एक बार जब बहुत जोरो के...
यह स्टोरी पूरी तरीके से फिक्शन बेस्ड है और पुनर्जन्म पर आधारित है।
भाग -1 श्रद्धा जो दिल्ली शहर की रहने वाली है वह दिखने में काफी सुंदर है रंग गोरा बाल लंबे और
बला की खूबसूरत। मासूमियत उसके चेहरे में दिखाई देती है, और दिल से भी बहुत अच्छी है वह हमेशा सबका भला सोचती है।
वहीं दूसरी और निश्छल ,जैसा नाम वैसा काम कभी किसी के साथ गलत ना करने वाला ,दिखने में सुंदर , कद काठी से लगभग 6 फुट लंबा और हमेशा बड़ों की इज्जत करने वाला।
भाग -2
निश्चल की पहली मुलाकात श्रद्धा से दिल्ली के माधवगंज में हुई थी जिसे आज कनॉट प्लेस के नाम से जाना जाता है। जब निश्चल पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली आता है,तब एक बार घूमते घूमते वह माधवगंज की एक आलीशान हवेली को देखता है,उस हवेली की छत पर एक बहुत सुंदर लड़की दिखाई देती है,चेहरे पर एक हल्की सी चमक,प्यारी सी मुस्कान , जैसे ही निश्चल उस लड़की को देखता है ,बस कहीं खो जाता है,उसकी प्यारी सी मुस्कान निश्च्छल के मन में बस जाती है,
और निश्चल को पहली ही नजर में श्रद्धा से प्यार हो जाता है।
अब वो रोज श्रद्धा को देखने माधव गंज आया करता है ,और रोज उसे निहारता रहता है। इत्तेफाक से निश्छल भी उसके है महाविद्यालय में दाखिला ले लेता है ,ये बात लगभग 1980 की होती है,जब लड़कियो को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था, वहां पर सिर्फ खानदानी लोगो के लडको को ही पढ़ने की इजाजत होती थी, वैसे तो श्रद्धा भी एक ऊंचे खानदान से थी ,पर लड़की होने के कारण उसके दादा दादी ने उसके आगे पढ़ने पर रोक लगा दी थी,पर पिता की लाडली होने की वजह से उसे भी उच्चतम शिक्षा मिल गई, उसी महाविद्यालय में उसे निश्च्छल मिला,निश्च्छल पढ़ाई में काफी अच्छा था ,इस कारण श्रद्धा निश्चल से अक्सर अपनी पढ़ाई से संबंधित सारे प्रश्न पूछ लिया करती थी,और निश्चल भी उसे हर विषय में मदद कर दिया करता था।धीरे - धीरे वो दोनो अच्छे दोस्त बन गए ,एक बार जब बहुत जोरो के...