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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
चाहे फिर किसी भी कर्म की-जैसे भिखारन हो,
बर्तन मांजने वाली हो, कूड़ा बीनने वाली हो किन्नर हो,या फिर हो एक वैशया आदि।।

हर वर्ग कि नारी की योनि व चूत की खोज व आलेख तथा प्रस्तुति पेशकश करते हुए उन्हें उनकी नारित्व व स्त्रीत्व को एक ही नज़र से देखकर वह उसके जातिश्रोत विभकितश्रोत लिगश्रोथ कालश्रोथ से सबकुछ शून्य कर देता है।।
और उन्हें परिचयहीन कर उनके नारित्व व स्त्रीत्व को असत्यता पूर्वक खंडित कर वह अपने अस्तित्व की आसीमता का बीज व बगान उगाने जाना मगर और उसकी किसी चीज के बारे में नहीं जानता कि उसकी ही गोख से जन्म लेकर
उसी को हर योनि व चूत में उसकी आसीमता को
हीन कर देना ही इस स्वांग नाट्य की आसीमता को उसकी आसीमता को ही असंभव व अनन्त
प्रेम गाथा अनन्त व असंभव एक स्वांग नाट्य रूपांतरण नाट्य श्रृंखला रूपांतरण घोषित कर देता है।।

#नाट्य_रूपांत्ररण_श्रृखंला☝️