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श्रीकृष्ण वासुदेव द्वारा अर्जुन को समझाए गए तथ्य का व्यवहारिक स्पष्टीकरण
7. न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः । न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् ॥
भावार्थ : न तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नहीं था, तू नहीं था अथवा ये राजा लोग नहीं थे और न ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे॥2.12॥

इन चार पंक्तियों में श्रीकृष्ण वासुदेव जी ने बहुत रहस्यमय बात कही है अर्जुन के माध्यम से हम सभी से।

हमने अक्सर ये देखा है कि समयानुसार परिस्थितियों में परिवर्तन होता रहता है। और वो परिवर्तन हमें दृष्टिगोचर होता है हमारे भीतर।
कभी पहनावे के रूप में,
कभी बोलचाल की भाषा के रूप में,
कभी खान-पान के रूप में,
तो कभी कार्य को करने के तरीकों के रूप में।

उदाहरणार्थ:-
एक समय था जब सिर्फ धोती पहनते थे और एक वस्त्र...