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आशिक़ी तुम्हीं से है...💞
राहत ओ ख़ुशी तुम्हीं से है,
रोशन ये जिंदगी तुम्हीं से है.

सजदे में सर झुका है,
मेरी तो बंदगी तुम्हीं से है.

तुम्हारे सिवा दूसरा नहीं,
दिल की आशिक़ी तुम्हीं से है.

तुम ही चांद, सूरज मेरे,
मेरे जहां में रोशनी तुम्हीं से है.

तुम हो मेरे खिलते गुलाब,
जीस्त में ताज़गी तुम्हीं से है.

तुम हो मेरी चाहत का दरिया,
मेरी तो हर तिश्नगी तुम्हीं से है.
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तुम पे लूटा दूं अब यही चाहत है,
मेरा प्यार, तुम्हारी ही अमानत है.

बड़ा सुकून है, तुम्हारी पनाहो में,
दिल को, एक तुम से ही राहत है.

ख्वाबों में आकर, सताते हो तुम,
तुमसे बस इतनी सी शिकायत है.

ज़र्रे को, अपने दिल में जगह दी,
सारी तुम्हारी नज़र ए इनायत है.

बड़ा कठिन है जीवन का सफ़र,
मुझे तुम्हारी बेहद ही जरूरत है.

दम निकले, तुम्हारे ही पहलू में,
दिल की यही आखरी हसरत है.
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© एहसास ए मानसी