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मेरा कोई दोस्त नहीं (*–*)

ये जो लोग कहते रहते हैं_कि मेरा कोई दोस्त नहीं, तो उनके लिए मेरा सवाल ये है_ कि वे लोग कहते क्यों हैं कि मेरा कोई दोस्त नहीं, पूछते क्यों नहीं खुद से कि उनका कोई दोस्त क्यों नहीं है। अगर उनका कोई दोस्त है ही नहीं, तो उनकी ये बात सुनेगा कौन ? सोचने वाली बात है ना। तो उनको ये सोचना चाहिए और फिर खुद से पूछना चाहिए कि "मेरा कोई दोस्त क्यों नहीं है, मुझमें ऐसी क्या कमी है कि मेरा कोई दोस्त नहीं है, क्या इतना बुरा हूं मैं ?" खुद से पूछेंगे तभी तो खुद से जवाब मिलेगा ना, क्योंकि कोई दोस्त तो उनके पास है ही नहीं जवाब देने के लिए। हम से संबंधित हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे पास होते हैं बस जरूरत हमें खुद से सवाल करने की है। जब हम खुद से सवाल पूछेंगे कि मुझ में ऐसी क्या कमी है तो हमें अपनी कमियां और कमजोरियां नजर आएंगी और जब हमें अपनी कमजोरियां और कमियां नजर आएगी तभी तो हम उन्हें दूर कर पाएंगे ना। अगर दूसरों को ही दोष देते रहेंगे तो खुद को कब समझेंगे।

कोई हमारे साथ कैसा व्यवहार करता है वह उनसे ज्यादा हम पर निर्भर करता हैं_कि हम उनके सामने अपने आप को किस तरह प्रस्तुत करते हैं। उन्हें हमारे कौन-कौन से गुण प्रभावित करते हैं, और उन्हे हमारी तरफ आकर्षित करते हैं या कौन-कौन से ऐसे अवगुण हैं जिनसे लोग हमसे दूर होते जाते हैं। देखो हम खुद जैसे हैं वैसे दोस्त तो हमें वैसे ही मिल जाएंगे। लेकिन हमें अगर खुद से बेहतर दोस्त चाहिए तो पहले हमें खुद को बेहतर बनाना होगा। खुद को इस लायक बनाना होगा कि लोग हमें हमारी सूरत से नही हमारी सीरत से, हमारे गुणों से, हमारे व्यवहार से आचरण से हमें पहचाने और हम से प्रभावित होकर हम से दोस्ती करें। अगर हमारी सूरत अच्छी हैं तो हमें दोस्त तो मिल जाएंगे, लेकिन वो दोस्त हमारे साथ कब तक दोस्ती निभाते हैं ये हमारे व्यवहार और काबिलियत पर निर्भर करता है।

जब हम दोस्ती करने के लिए लोगों के पीछे भागना बंद कर देते हैं, और खुद को काबिल बनाने लग जाते हैं तो हमें दोस्त ढूंढने नही पड़ते, लोग खुद हमारी तरफ खींचे चले आते हैं हम से दोस्ती करने के लिए। और हमें खुद को किस तरह से काबिल बनाना है यह हमें तभी पता चलेगा जब हम अपने आपसे सही सवाल करेंगे।


© Sunita Saini (Rani)
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