...

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प्रेम_ शादी_ परिवार......
ड्राइवर साहब कृपया गाने को आवाज कम किजिए..
और आगे चौक पर रोक देना..

पिंकी तुम ऐसे रूठ के मत जाओ मैं घर वालो को मना लूंगा

पिंकी _ रोते हुए .. नही अब हम तुमसे कभी नही मिलेंगे जा रहें हम हम सिरोंचा अपने शहर

अविनाश _ अरे लेकीन ऐसे रूठ के कौन जाता है अभी कुछ दिन रूक जाओ न.

पिंकी _ पिछले तीन महीनो से पढ़ाई खत्म होने के बाद भी रुकी हुई हु
ताकी तुम घर वालो से बाते कर सको_ न मिलवाया_ न बाते की

अविनाश_ हिम्मत नही हो रही कैसे बात करू

पिंकी_ हा तो हजार वादे भी नही करते मूझसे _ तुम सुन लो अविनाश इस दिल से देह तक सिर्फ तुम्हारा हक रहा है

अविनाश _ हा मैं जानता हूं तुम मेरी हो लेकीन क्या तुम मुझे समझ नही सकती _

पिंकी _ आंखो में आंसुओ के साथ
पापा बता रहे थे लड़का देखने आने वाला है
वक्त रहते घर आजाना या फिर समझ जाना मैं न रही..

इतनी बाते सुन अविनाश बस में ही स्तब्ध हो खड़ा देखता रह गया _ बस आगे बढ़ी ड्राइवर ने सॉन्ग की आवाज तेज की_

तेरे बिन जिया जाए ना......हो....