...

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बिना छुए...
जिस्म पाने की जहां तलब लगी रहती है। उस जहां में बेपनाह मोहब्बत करके, जो तुझे touch तक नहीं किया। जानी! एक विश्वास ही दिलाना था न।
देख लेना, बिना छुए... मुझ सा कोई तुझसे इश्क ना कर पाएगा।

बिना छुए... मुझ सा कोई, तुझसे इश्क ना कर पाएगा।
देख लेना जानी, वो वक्त भी आएगा।

जो तड़पा था तेरी गोद के लिए,
वो पागल, बिना तेरे नाम के सो जाएगा।

देख लेना जानी, वो वक्त भी आएगा।

तलब लगी रहती है यहां छूने की,
छूकर कोई छोड़ जाएगा।

हुस्न सामने रहते जो रूह से इश्क कर बैठा,
आजमा लेना, ऐसा फिर ना मिल पाएगा।

देख लेना जानी, वो वक्त भी आएगा।

अपनी मुस्कुराहट के आगे, तुझे जो अश्क ना दिखे थे,
कभी पानी बन तेरी आंखों से बह जाएगा।

तड़पते हुए उस खुदा ने देखा है मुझे,
जा! वो खुदा ही तुझे बताएगा।

देख लेना जानी, वो वक्त भी आएगा।।

“किसी को मैंने भी खुदा माना था। अरे! छुए बिना भी इश्क होता है।।”

© Rahul Raghav

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