प्रेम हुआ है तुझे
"सखी और मैं.. (संवाद)
मोही.... मोही.....
सखी ने मुझे आवाज़ दी..
वो अधिकांशतः मुझे 'मोही' नाम से बुलाती है.. कहती है अज्ञानी हूँ मैं.. सबसे मोह हो जाता है मुझे..
..
'क्या हुआ किसी से मिलती नहीं है , सखियां कहती हैं कोई रोग हुआ है तुझे.. चल बता क्या हो गया है'..? सखी ने मुझसे पूछा!
'कुछ भी तो नहीं'.. मैंने अनमने ढंग से कहा!
'फिर मिलती क्यों नहीं.. अम्मा बता रही थीं.. तू कुछ खाती भी नहीं है, खोई-खोई सी रहती है.. और वो तेरी पसन्द के गीत जिन पर तू थिरकती थी.. क्या अब थिरकना भूल गई है'..? सखी एक साँस में बोल गई!
'नहीं.. खुद को भूल गई हूँ'.. कहकर मैंने उसकी ओर देखा।
सखी ने मेरी आँखों में झांका, फिर...
मोही.... मोही.....
सखी ने मुझे आवाज़ दी..
वो अधिकांशतः मुझे 'मोही' नाम से बुलाती है.. कहती है अज्ञानी हूँ मैं.. सबसे मोह हो जाता है मुझे..
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'क्या हुआ किसी से मिलती नहीं है , सखियां कहती हैं कोई रोग हुआ है तुझे.. चल बता क्या हो गया है'..? सखी ने मुझसे पूछा!
'कुछ भी तो नहीं'.. मैंने अनमने ढंग से कहा!
'फिर मिलती क्यों नहीं.. अम्मा बता रही थीं.. तू कुछ खाती भी नहीं है, खोई-खोई सी रहती है.. और वो तेरी पसन्द के गीत जिन पर तू थिरकती थी.. क्या अब थिरकना भूल गई है'..? सखी एक साँस में बोल गई!
'नहीं.. खुद को भूल गई हूँ'.. कहकर मैंने उसकी ओर देखा।
सखी ने मेरी आँखों में झांका, फिर...