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जमीन भाग -१-
हैलो, सारिका जी बोल रही हैं, मोबाइल पर उधर से किसी व्यक्ति की आवाज थी।
सारिका:-जी,आप कौन?
बेटा, मैं आपका ताऊ, हरदयाल त्रिवेदी।उस व्यक्ति ने फ़ोन पर कहा।
सारिका:-नमस्ते,ताऊजी
व्यक्ति:-बेटा, कुछ बात करनी थी।
सारिका:-ताऊ,जी,अभी हम कार्यालय के काम से मीटिंग में जा रहे हैं। हम बहुत
व्यस्त हैं।तीन बजे एक मीटिंग में मुझे
पहुंचना है।अभी बात न हो सकेगी।
शाम को बात कर लीजिएगा।
सारिका ने शिष्टाचारवश कहा ।
फोन काट कर वह विगत आठ वर्ष पूर्व की यादों में खो गई।वह उस समय दसवीं कक्षा में थी।
उसके पिता इलाहबाद में राजस्व विभाग में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे।उनका कार्यालय में ह्रदय आघात के कारण आठ साल पहले निधन हो गया था। परिवार में दो भाई व वह स्वयं थी।वह घर में सबसे बड़ी थी। भाई रामानुज उस समय कक्षा ८ में और भाई सुशील कक्षा५ में पढ़ रहे थे।
पापा की मृत्यु से घर पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा। सारिका के पापा के दो भाई थे। उसके ताऊ हरदयाल त्रिवेदी और चाचा शिवनारायण त्रिवेदी। किसी ने भी उनकी आर्थिक मदद नहीं की थी। आठ महीने बाद अनुकंपा के आधार पर उसकी मम्मी जी की नियुक्ति हुई थी।
वो आठ महीने कैसे बीते थे, यह आज भीउसे याद था। किसी भी रिश्तेदार को हमारे घर की हालत उस समय दिखाई नहीं दी थी। मां ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी उसने सोच लिया था कि वह प्रशासनिक अधिकारी बनेगी।इसी लक्ष्य को सामने रख उसने मेहनत करनी शुरू कर दी थी और बी.ए.(आनर्स )85.5 प्रतिशत से उत्तीर्ण किया। उसके बाद आई ए एस की परीक्षा पास कर एस.डी.एम के पद पर आसीन हुईं। इन्हीं विचारों में वह खोई हुई थी कि कब आफिस आ गया, पता ही न चला।
नियत समय पर उपराज्यपाल की अध्यक्षता में
मीटिंग शुरू हुई। सरकार की नीतियों को प्रभावशाली ढंग से जनता में पहुंचाने और प्रशासन को सुदृढ़ रूप से चलाने हेतु अधिकारियों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे।
मीटिंग समाप्त कर वह कार्यालय पहुंची और कार्य समाप्त कर वह अपने घर सात बजे पहुंची।
सांय काल की चाय मां और बेटी सारिका इकट्ठे पीते थे। दोनों भाई चाय बिल्कुल नहीं पीते थे।रोज की तरह दोनों चाय पीने लगे।
चाय पीते पीते सारिका ने ताऊ जी से फोन पर हुई बातचीत के बारे में मां को बता दिया।
अभी वे यह बात कर ही रहे थे कि मोबाइल की घंटी बजी। सारिका ने फ़ोन देखा। ताऊ जी का फोन था।
सारिका :- हैलो
ताऊजी :-हैलो बेटा, कैसे हो आप लोगसारिका :- हम ठीक हैं।आप अपना‌ हाल सुनाएं।
ताऊजी :-सारिका,तुम्हारे दादाजी की साठ एकड़ खेती वाली जमीन में हम चालीस एकड़ में मैडिकल कालेज खोलना चाहते हैं। इसके लिए हम प्रशासन से भूमि उपयोग बदलनेस संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहते हैं जो आपके ही विभाग से जारी किया जाएगा।क्या आप इसमें मदद कर सकती हैं?
सारिका:- कार्यालय जाकर देखना होगा कि उक्त जमीन कृषि क्षेत्र में है या नहीं।
और इस जमीन पर वर्तमान में स्वामित्व किसका है।
ताऊजी:- ठीक है , मैं अगले सोमवार को फोन कर के पूछूंगा।
कहते हुए ताऊ जी ने फोन‌ काट दिया।
क्या कह रहे थे ताऊजी, बेटा मां ने पूछा।
वे कह रहे थे कि इस मेरे दादाजी वाली साठ एकड़ जमीन में से चालीस एकड़ जमीन पर वो मैडिकल कॉलेज बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र चाहिए ,सारिका ने कहा।
पर तुम्हारे दादा जी की जमीन को यह कैसे बेच सकते हैं।
वह जमीन तो तीनों भाइयों की सम्मिलित संपत्ति है। उसमें उनका एकाधिकार कैसे हो सकता है? मां ने कहा।
मां, अनापत्ति प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए यह पहली और आवश्यक शर्त है कि जमीन पर मालिकाना हक़ किसका है। संबंधित कागज पूरे न होने पर वह आवेदन ही नहीं कर सकते।सारिका ने कहा।

क्रमशः......

क्या सारिका के ताऊजी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर पाये। क्या उन्हें प्रमाण पत्र मिला?
जमीन का आगे क्या हुआ, जानने के लिए
पढिये जमीन भाग-२-

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