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अधूरे चिकित्सक
अबीर अपने दफ्तर से जल्दी से निकला और फटाफट अपनी मोटर साईकिल को सेल्फ स्टार्ट किया । मोटर साईकिल दो साल ही पुरानी थी । यह उसने अपनी शादी के समय ही खुद अपनी कमाई से ली थी । कितना अच्छा लगा था उसको नयी दुल्हन के साथ नयी मोटरसाइकिल का होना । इस मोटरसाइकिल मे ईवा को पीछे बिठाकर घूमना ऐसा लगता था कि उसके जीवन के बहुत सारे सपने पूरे हो गये हो । अच्छी कंपनी मे सीनियर सेल्स एग्ज़ीक्यूटिव
बनने मे उसको ज्यादा समय न लगा था । अच्छी पढाई लिखाई और मेहनत करने का यह ही तो फायदा होता है । आज ईवा ने उसे जल्दी घर आने को कहा था । कोई विशेष कारण न था । बस नयी शादी होने पर कोई फिल्म देखने जाना और बाद मे किसी रेस्तरां मे जाकर खाना खाने की लालसा तो कुछ सालों तक बनी रहतीं है । अच्छे पति को भी अपनी विवाहिता को खुश रखने मे ही जीवन का आनंद आता है । अबीर भी अपने को अच्छा पति साबित करने की प्रतियोगिता मे अव्वल आना चाहता था ।
वह मोटरसाइकिल से जा रहा था । रास्ता थोड़ा सुनसान था । शहर काफी छोटा था । बीच बीच में कभी कोई गाड़ी गुजर रही थी। अचानक अबीर को मोटरसाइकिल चलाने मे दिक्कत होने लगीं ।उसने मोटरसाइकिल रोकी और नीचे उतर कर देखा । यह क्या मोटरसाइकिल का तो पिछला पहिया पंक्चर हो चुका था । उसे घर जल्दी पहुँचना था उसे अपने ऊपर गुस्सा आया कि उसने मोटरसाइकिल क्यो ख़रीदी इससे तो बेहतर होता कि वो एक स्कूटर ले लेता । स्कूटर मे स्टेपनी लगी होती है । ऐसे वक्त मे वो फालतू पहिया बहुत काम आ जाता है । फटाफट बदलो और चलो । मोटरसाइकिल मे ऐसे फालतू पहिया नही लगा होता । उसके पास अपने घर के नजदीक एक पंचर वाले का फोन नम्बर था । शहर काफी छोटा था और पंचर वाला पहचान का था । इसलिए उसने उसे वहाँ जल्द से जल्द पहुँचने को राजी कर लिया ।
अब थोड़ा वक्त तो काटना था । वो इधर उधर देखने लगा । उसकी नजर सामने एक तंबू गड़ा था उस पर पड़ी । जहाँ उनका तंबू था वहाँ बाजू में एक बोर्ड था जिसमें बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए देसी उपचार और जड़ी-बूटियों से सस्ते मे ठीक करने की बात कही गयी थी । अबीर को कोई बीमारी न थी । उसका ध्यान गया कि वहाँ मर्दाना ताकत का भी उपचार के बारे मे लिखा है । अबीर को उसकी कोई जरूरत न थी । अनायास ही शायद वो वक्त गुजारने उस तंबू की तरफ बढ़ा । जब वो तंबू के पास पहुंचा तो अंदर से एक महिला बाहर निकली शायद वो तंबू वाले की पत्नी थी । उस वक्त अंदर कोई पुरुष न था । कुछ बच्चे वहाँ खेल रहे थे । अबीर घबरा गया उसकी समझ मे कुछ न आया कि वो क्या बोले कि उसे किस बीमारी की दवा चाहिए । घड़ी दो घड़ी रूकने के बाद उसे ध्यान आया कि कई दिनों से उसकी पत्नी कह रही है कि उसे अनियमित माहवारी हो रही है इसलिए उसे कोई बड़ी महिला चिकित्सक के पास ले चले उसने सोचा कि औरतों कि इतनी छोटी सी शारीरिक पिरयिडस की शिकायत के लिए किसी महिला डाक्टर के पास जाने की क्या आवश्यकता है । यह काम तो यह इनकी दवा से ही हो जायेगा । वो भी काफी कम खर्च मे । अबीर ने जल्दी से अपनी बीवी की मर्ज बतायी और दवा लेकर अपनी मोटरसाइकिल के पास आ गया । अब वो पहले से ज्यादा संतुष्ट और खुश था । घर जाकर उसने वो दवा ईवा को दे दी और सबकुछ ठीक से समझा दिया । ईवा ने भी पति की समझदारी पर कोई सवाल नहीं उठाया । अब आफिस से आते जाते वो ईवा की दवा ले आता । इस तरह तंबू वाले बंजारे से ही ईवा का ईलाज चलने लगा ।
कुछ समय बीता तो ईवा को दोनों आखों से धुंधला धुंधला दिखने लगा । अबीर ने ईवा को आखों के डाक्टर को दिखाया गया जिसने उसे कुछ खाने की दवाएं दी और साथ मे आँखों मे डालने की भी दवा दी । एक दिन जब अबीर तंबू वाले से दवा लेने पहुंचा तो वहाँ कोई तंबू न था । वो वहाँ से जा चुके थे । थोड़े समय बाद ईवा ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया । धीरे-धीरे ईवा की दोनों आँखों से दिखाई देना बंद हो गया और उसे नन्हे बालक की परवरिश मे भी दिक्कत आने लगी । शहर के बड़े बड़े डाक्टरों को दिखाया गया जिन्होने यह बताया कि ईवा की आंखो की रोशनी पीछे से दृष्टि तन्त्रिका क्षति होने से जा चुकी है और वो कभी ठीक नहीं हो सकती । ईवा अब पूण॔ रूप से अंधी हो चुकी थी । अबीर के पास अब पशचताप के सिवाय कुछ न बचा था । ईवा को पूरी जिंदगी अंधेपन में ही गुजारनी थी
हम अच्छी तरह जानते है कि किसी वकील की गलती के लिए हम ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटा सकते है । किसी चार्टड अकाउंटेंट की गलती के लिए हम कुछ ज्यादा पैसा टैक्स या अन्य रूप से खोना पड़ सकता है लेकिन किसी चिकित्सक की गलती कभी भी माफ नही होती यहाँ तक की हमे उसके लिए अपनी जान भी गवानी पड़ सकती है । ऐसे अधूरे चिकित्सको से हमें बचना चाहिये और यह कहावत नीम हकीम खतरे जान पूरे सोलह आने सच है ।
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