...

16 views

रात का वो घना अंधेरा
मुझे चलते चलते रात हो गई थी , न मंजिल मिल पा रही थी और न ही सफर पुरा हो पा रहा आखिर खो जो गई थी इस घने जंगल में... ना ही कोई रोशनी थी यहां और ना ही कोई आशा कि किरण नजर आ रही थी
बस था तो रात वो घना अंधेरा जो किसी को भी मदहोश करने के लिए बहुत था।