रेत की दीवार
कल रात मैंने एक सपना देखा.. इतना ज़्यादा कुछ याद नहीं है बस सपना ख़राब था, बहुत ख़राब।
मैंने देखा कि मेरी आवाज़ बदल गई है। बहुत अजीब और डरावनी हो गई है। मैं बोल रही हूँ तो कानों पर हाथ रख लेती हूँ, मुझे मेरी ही आवाज़ से डर लग रहा था और फिर अचानक मेरे पैर और सिर तो बिस्तर पर हैं पर शरीर का बाकी बचा हुआ हिस्सा ऊपर की ओर उठता जा रहा है। ऐसा ही बहुत कुछ हो रहा था जिससे मुझे घुटन हो रही थी, बहुत घुटन।
मैं सपने को देखते समय नींद में खुद को यह यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी कि "मैं ठीक हूँ और सो रही हूँ यह केवल एक सपना है।"
लेकिन सपना इतनी वास्तविकता से भरा होता है कि.....
मैंने देखा कि मेरी आवाज़ बदल गई है। बहुत अजीब और डरावनी हो गई है। मैं बोल रही हूँ तो कानों पर हाथ रख लेती हूँ, मुझे मेरी ही आवाज़ से डर लग रहा था और फिर अचानक मेरे पैर और सिर तो बिस्तर पर हैं पर शरीर का बाकी बचा हुआ हिस्सा ऊपर की ओर उठता जा रहा है। ऐसा ही बहुत कुछ हो रहा था जिससे मुझे घुटन हो रही थी, बहुत घुटन।
मैं सपने को देखते समय नींद में खुद को यह यकीन दिलाने की कोशिश कर रही थी कि "मैं ठीक हूँ और सो रही हूँ यह केवल एक सपना है।"
लेकिन सपना इतनी वास्तविकता से भरा होता है कि.....