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शरारतों की यादें
यूँ तो है, यहाँ कई महाविद्यालय,
उनमे से एक है, भगवान सिंह महाविद्यालय
अभी तो यहाँ मेरे कुछ यादगार ही पल बीते हैं,
कि बुहान वाले आ गये हैं,
जो जाने का नाम ही नहीं ले रहे है |
अब पता नहीं ये कब जाएगे,
कब हम मित्रों से मिल पाएगें ?
इतने दिनों में बेशक़ सबको, सबकी याद आई होगी |
यहाँ कुछ लोगों से मिलना, सबकी याद को ताज़ा करना ||
कॉलेज में श्‍वेता मेम से हिंदी का पढ़ना और
क्लास में शोर होने पर “हद हो गई बदतमीजी की कहना” |
मनीष सर से बायो का पढ़ना और
क्लास के बाहर उनकी मोज लेना |
सतीष सर का लाल कलम का चलाना और
कमलेश सर का हाथ घुमा कर समझाना |
अज़हर सर से साइकोलाजी का पढ़ना और
जल्दी-जल्दी में उनको अजगर कह कर पुकारना |
दिलीप सोनी सर की क्लास में देरी से आना और
सभी लड़को को आ जाने पर उनकी उपस्थिति का लेना |
दीपेश सर से किताबों का लेना और
उनके फोन करने पर ही लौटाना |
बी. एन. पटेल सर का कोशिका का पढ़ाना और
गांधी जयंती पर जबरदस्ती भाषण दिलवाना |
शैलेन्द्र पाठक सर का हँस कर बाते करना और
स्वतंत्रता दिवस पर उनका भाषण देना |
हर्रेन्द्र सर का रसायनविज्ञान पढ़ाना और
प्रतिक्रिया करके पानी क्लास में ही निकालना |
क्लास में YO YO वाला राष्ट्रगान सुनना और
लंच से पहले टिफिन को खाली करना |
सागर का गिटार बजाकर चंदा लेना और
चंदा से सबको पार्टी देना |
S. A. Group का साथ रहना और
क्लास में प्रस्तुतिकरण के समय हँसना |
जगत को जग्गू दादा (JD) कहना और
बस छूट जाने पर मुझको लिवाना |
सचिन का बस में लहरना और
फिर उसकी मोज लेना |
दाऊ का क्लास में हँसना और
हर किसी को घूर कर देखना |
विकास को ढ़ोलक कहना और
साथ में गुड्डू की चाट को खाना |
उत्कर्ष का घर से लिवाना और
मेरा एक पेपर छूटते-छूटते रह जाना |
समाधिया का घास पर लौटना और
अनिकेत का टिक-टोक बनाना |
I.T.I. वालों का आना और
मेज में दो छेद कर के जाना |
सत्यम का मैदान में अकेले बैठना और
शिवांशु(6) को उसके साथ बैठना |
छुट्टी में सबको मैदान में बैठकर बस का इंतजार करना और
घर पर चार बजे पहुँचना |
छुट्टी में अमरूद खाना और
बापू को वहाँ साँप कह कर डरवाना |
जयनेन्द्र का सबको घास पर खींचना और
अजीत बाबू के पेंट का मजाक उड़ाना |
पवन से झगड़ना और बस को चौराह तक बुलाना और
बस में दो के दस समोसे का नारा लगाना |
पता नहीं फिर कब ये दिन आएगें, सबसे फिर मिल पाएगे ?
विश्वास है, जल्द ही वो दिन आएगे |
जब हम सबको कॉलेज में पाएगे |
✒ गिरेन्द्र प्रताप सिंह
बी.एल.एड़.द्वितीय वर्ष
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