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अछूत कौन?
(उत्तर प्रदेश के ज़िला बस्ती में घटित सत्य घटना पर आधारित)
डॉक्टर ने रसोईए को समझाते हुए कहा, ''आईसोलेशन वार्ड में जानलेवा बीमारी कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ पेशंट दाख़िल हैं। आज से इनके लिए आपने खाना बनाना है। लेकिन विशेष ध्यान रहे, इन्हें छूने की बात तो बहुत दूर, इनके नज़दीक भी नहीं जाना। क्योंकि जब तक ये ठीक नहीं हो जाते, तब तक इन्हें अछूत समझा जाएगा।'’
डॉक्टर का आदेश मिलते ही रसोईया अपने हाथों में खाने की तश्तरी लिए, जैसे ही आईसोलेशन वार्ड में दाख़िल हुआ तो कोरोना संक्रमित मरीज़ों ने खाना खाने से मना करते हुए कहा, ‘'हम ये खाना नहीं खाएंगे। क्योंकि इसे अछूत जाति के इस रसोईए ने बनाया है। ये शूद्र और हम सवर्ण।''
रसोईए ने आश्चर्यचकित होकर, समीप खड़े डॉक्टर से कहा, ‘'साहब आपने तो कहा था कि ये सभी मरीज़ अछूत हैं। लेकिन ये तो मुझे ही अछूत कह रहे हैं!''
डॉक्टर ने सौ नंबर पर फ़ोन करते हुए मरीज़ों से कहा, ‘'रस्सी जल गई, पर बल नहीं गए। मैं पुलिस को बुला रहा हूं। तुम सभी के ख़िलाफ़ अब एट्रोसिटी एक्ट में एफआईआर दर्ज़ होगी।''
एफआईआर दर्ज़ होने उपरांत समाज के समक्ष बस यही प्रश्न है, ‘'अछूत कौन?''
मानव दास 'मद'✍️
© manavdass@gmail