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मौली सूत्र (कलावा) का महत्व📿
सनातन धर्म में हाथ पर कलावा क्यों बांधते है।

🥀सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य या पूजा के समय कलावा बांधने का विशेष महत्व होता है l कोई पूजा-अनुष्ठान सबसे पहले हाथ पर कलावा बांधने से ही शुरू होता है l लेकिन आज हम जानेंगे कि आखिर कलावा हाथ पर क्यों बांधा जाता है? मौली यानी कलावा का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे ऊपर और इसे कलाई पर बांधने की वजह से कलावा भी कहा जाता है l कहते हैं कि मौली का वैदिक नाम 🥀उप मणिबंध🥀 है l. इसका तात्पर्य सिर से भी होता है l भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा सुसज्जित है.इसलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है l मौली या कलावे को मुख्यत तीन रंगों के कच्चे सूती धागे से बनाया जाता है l जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल है l तीन धागों से अभिप्राय त्रिदेव है l कहा जाता है कि हाथ में मौली या कलावा बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश और तीनो देवियों- लक्ष्मी, गौरी और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है l कलावे को रक्षासूत्र के रूप में हाथ पर बांधा जाता है l कहते हैं कि,,,,,,
-🌹 जब भी कोई पंडित या शास्त्री आपके हाथ में कलावा बांधें तो उस हाथ की मुट्ठी बंद और दूसरा हाथ हमेशा सिर के पीछे होना चाहिए l
-🌹कलावे को हमेशा पांच या सात बार घुमाकर हाथ में बांधना चाहिए l
वहीं अगर आपके हाथ में बंधा कलावा पुराना हो गया है और आप इसे उतारना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि पुराने कलावे को हमेशा 🙏मंगलवार या शनिवार🙏 के दिन ही हाथ से उतारें और इसे उतारकर फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे आप पीपल के पेड़ के नीचे रख दें l
🌹 जय जय श्री राधे 🌹

© preet_90aii💞